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Sunday, July 17, 2022

जब मैं मेरी मां के गर्भ में था / डॉ लाल थदानी

मेरे जन्म दिन पर मिली अनगिनत
शुभकामनाओं के लिए मैं आप सब छोटे बड़े गुरुजनों का कृतज्ञ हूं जिनसे कुछ न कुछ सीखने को मिला है ।

*मेरे उद्गार : #अल्फ़ाज़_दिलसे*

जब मैं मेरी मां के गर्भ में था 
न मेरा कोई नाम था न पहचान थी
नामहीन, मोह , माया,  लोभ, द्वेष
किसी भी दांव पेंच से अनभिज्ञ था
मैं अपनी ही दुनिया में मग्न था
नग्न था मगर अलमस्त, प्रसन्न था 
शायद मैं स्वतंत्र था
जब मैं मेरी मां की कोख में था

जन्म के तुरंत बाद मैं रोया लोग हंसे 
बधाईयों के तांते लगे
मुझे क्या पता था हम फंसे
दिन भर हमें जितने  कपड़े पहनाए गए 
लोग अलग अलग नाम से पुकारते गए 
गोदियों के साथ जाति धर्म में बांटे गए 
हम बड़े होते गए रिश्तों से टूटते गए
 रोजी रोटी रिश्तो में उलझते चले गए
हम खुद में खुदा को  ढूंढते रह गए
मुझसे मेरी ही स्वतंत्रता छीन ले गए
हम अपने आप से बिछड़ते चले गए 

*डॉ लाल थदानी*
*अल्फ़ाज़_दिलसे*
*17. 07.2022*
*8005529714*

https://youtu.be/1hCyuYZy1WU