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Saturday, August 28, 2021

सच्चे मित्रों का रहूं मोहताज़ / डॉ लाल थदानी


सबके उद्गार लिखती है 
मेरी कलम मेरी दवात
मेरे दिल से निकलता है 
मेरा हर अल्फ़ाज़
सादगी से कहता हूं मैं 
हर किसी की बात
लोग जलें या डरें 
इसमें मेरा नहीं कोई दोष
मैं शायर हूं लिखता हूं 
सच्चाई से जज़्बात
इसलिए सबके दिलों में हूं
बसता हूं बनकर आवाज़ 
मेरी शोहरत मेरा नाम है,
जीने का यही मेरा अंदाज़
अच्छे सच्चे मित्रों का मैं
भक्तिपूर्वक रहूं मोहताज

डॉ लाल थदानी
#अल्फ़ाज़_दिलसे 
28.8.2021

Thursday, August 26, 2021

कान्हा तो कान्हा ही रहेगा / डॉ लाल थदानी

लघु कथा
कान्हा तो कान्हा ही रहेगा / डॉ लाल थदानी

बेचारा गरीब सुदामा चावल की पोटली और 
राखी लेकर आधुनिक अमीर कृष्ण के पास गया । उसने ही तो दोस्तों को मैसेज किया था । वो भी अंग्रेजी में । छोटा सा मोबाइल लेकर सुदामा सबको मेसेज दिखाता फिरा । 

You guy's whenever you happen to be here please visit ( जब भी आपका आना हो कृपया मेरे पास जरूर आना ) । भोला भाला सुदामा ने समझा राखी और जन्माष्टमी का शुभ मौका है ।
मिल आता हूं । गूजर मोहल्ले में साथ साथ खेलते थे।  पता नहीं पहचानेगा या नहीं । सो पहुंच गया डरता झिझक्ता। 
 बेचारा सुदामा ।

तीस साल पहले की पढ़ाई और आज की पढ़ाई में दिन रात का फर्क था । हाई टेक शहर का कान्हा आज भी नटखट है । सातों युगों का इतिहास उठाकर देखो । कान्हा तो कान्हा ही रहेगा । रिझाने वाला , सताने वाला । बस बदलाव आया तो समय के हिसाब से सोच में , पहनावे में , ऊंच नीच , अमीरी गरीबी में । अब तो सात युगों के बाद माटी की खुशबू बिखर गई  कारों के काफिले के साथ , ऊंची ऊंची इमारतों की दीवारों और नींव में दब सी गई है । चकाचौंध रोशनी में अपने आप से दूर होते नौकरी और छोकरी के पीछे भागने वालों को खुशबू आए भी तो कहां से । कोरोना ने नाक पर मास्क की परत और चढ़ा दी । भाव शून्य व्यक्ति लिखे खुद समझे खुद ।

बड़े शहर में रहने वाले कृष्ण को छोटे शहर के छोटे कद पास सुदामा क्यों भाने लगा ।
ना फोन की घंटियां सुनी गई और न फोन उठाया गया । सुदामा समझ गया। अभी कृष्ण अवसाद में है । शायद #anxiety या फिर #splitpersonality 

सोचा था कृष्ण को सरप्राइज़ दूंगा । खुद कृष्ण लीला के आगे सुदामा आश्चर्यचकित हो गया । लेकिन गरीब के मुंह से दुआएं ही निकलती हैं । जो दे उसका भला जो ना दे उसका भी भला । सुदामा ने उसे भी दुआएं दी । जल्द स्वस्थ होने की मंगलकामना देता हुआ सुदामा उल्टे पांव अपने घर लौट आया । 

#अल्फ़ाज़_दिलसे

अंतर्राष्ट्रीय काव्य संगम संस्कार न्यूज 
#काव्यांजलि #कहानी #mentalhealth 
#विधा #rks_रचना_संग्रह_81

#अंतरराष्ट्रीय_साहित्य_परिषद #साहित्यउत्थानमंच #साहित्यनभ

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-Dr Lal Thadani
8005529714 / drlal2010@gmail.com

Saturday, August 21, 2021

धागों का त्यौहार / डॉ लाल थदानी


         शीर्षक : धागों का त्यौहार                                       (रक्षाबंधन)
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किसी दुआ से कम नहीं 
भाई बहन का प्यार
कितने भी लड़ झगड़ लें
अटूट बंधन का ये तार
विस्वास , आस्था , समर्पण
त्याग से रिश्ता सरोबार
मनाते रेशमी धागों का त्योहार

रक्षाबंधन बांधे सैनिकों को
ये देश के सच्चे पहरेदार
 दुश्मनों को राखी बांधकर
वीरांगनाऐं बनी रचनाकार
कृषक भले हो दीन दुखी
माटी का असली कर्जदार
मनाते रेशमी धागों का त्योहार

अमीर गरीब ऊंच नीच का
भाई बहिन मिटाए अंधकार
रोतें हैं एक दूजे के लिए
घर हो कोई एक बीमार
दुआओं के लिए हाथ 
मांगे खुशियों का संसार
मनाते रेशमी धागों का त्योहार
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स्वरचित अप्रकाशित
डॉ लाल थदानी
#अल्फ़ाज़_दिलसे
21.8.2021 
8005529714
drlal2010@gmail.com

Tuesday, August 3, 2021

बड़ा पछताओगे दोस्तों / डॉ लाल थदानी


विषय : बड़ा पछताओगे दोस्तों
मौलिक स्वरचित
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मेरी मानों अब तो सुधर जाओ दोस्तों
एक दिन हम सब सिधर जाएंगे दोस्तों
तुम फिर किससे बतियाओगे दोस्तों
ऐसा हुआ तो बड़ा पछताओगे दोस्तों।

कोई हंसी ठिठोली करने वाला ना होगा दोस्तों
तुम्हारे गम सुनने वाला  ना होगा दोस्तों
दुख सुख में कोई भी शामिल ना होगा दोस्तों
ऐसा हुआ तो बड़ा पछताओगे दोस्तों ।

मित्रता में मैंने तुम्हें हमेशा कृष्ण माना है दोस्तों
खुद को हमेशा गरीब सुदामा जाना है दोस्तों
बांसुरी संग मेरी सांसों की डोर नहीं बांधोगे दोस्तों
ऐसा हुआ तो बड़ा पछताओगे दोस्तों ।

जीवन नैया के होते हैं दो ही खिवैया
आहत हृदय में कान्हा का स्पर्श जैसे छैयां
टूटते रिश्तों से दोस्तों बैयां नहीं थामोगे
ऐसा हुआ तो बड़ा पछताओगे  ।
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डॉ लाल थदानी
#अल्फ़ाज़_दिलसे
02.08.2021