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Saturday, April 29, 2017

Smile : It's Life



I have got nothing to do today
but Smile .
Live n Love Life with Smile .
Today n Always.
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Prevent Child Marriage




  
https://youtu.be/Qyj77pxdlFI 
http://www.mutualsathi.in/2016/07/balviwah-kanoon.html?m=1 
डॉ लाल थदानी । www.drlalthadani.in.           
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Sunday, April 23, 2017

फिजियोथेरेपी} निशुल्क 3 दिवसीय कैम्प 25 से 27 अप्रैल 17

फिजियोथेरेपी- एक वैकल्पिक पद्धति । क्यों और कब
डॉ लाल थदानी www.drlalthadani.in
उप मुख्य चिकित्सा} एवं स्वास्थ्य अधिकारी}
https://youtu.be/UgtXfObjrEU
 अधिकांश लोग फिजियोथेरेपी को ‘एक और’ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से ज्यादा महत्व नहीं देते। कुछ इसके दायरे को मसाज तक सीमित कर देते हैं, तो कुछ इसे खेल के दौरान लगने वाली चोट को ठीक करने के लिए उपयोगी मानते हैं। पर फिजियोथेरेपी की उपयोगिता इससे कहीं ज्यादा है। अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो फिजियोथेरेपी के बारे में सोचना चाहिए।
सिखाता है सांस लेने की कला
अस्थमा या किसी भी तरह के सांस के रोगों को कार्डियोवस्कुलर फिजियोथेरेपिस्ट  सांस रोकने और छोड़ने वाले व्यायाम या गुब्बारे फुलाने जैसे अभ्यास के जरिये ठीक करता है।
असहनीय दर्द में भी दे आराम
हमारी पीठ व कूल्हे के निचले हिस्से में करीब दो दर्जन से ज्यादा मांसपेशियां होती हैं, जिनका ठीक रहना जरूरी है। घुटनों के दर्द से निजात पाने में सर्जरी के 80 फीसदी मामले व्यायाम व फिजियोथेरेपी की कमी के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाते। कई मामलों में कूल्हे व घुटने के प्रत्यारोपण व फ्रैक्चर के बाद उनके रिहैबिलिटेशन में फिजियोथेरेपी जरूरी हैं। फिजियोथेरेपी में दर्द की मूल वजहों को तलाश कर उस वजह को ही जड़ से खत्म कर दिया जाता है।  फिजियोथेरेपी बैठने, खड़े होने या चलने के खराब पॉस्चर की वजह से या मांसपेशियों में खिंचाव के कारण ऑस्टियोपोरोसिस या किसी अन्य फ्रैक्चर में होने वाले दर्द कमर में दर्द  से भी राहत दिला सकती है।  
पेल्विक डिसऑर्डर
प्रेग्नेंसी या किसी सर्जरी के बाद मांसपेशियां सख्त हो जाने से कई लोगों को पेल्विक (पेट के नीचे का हिस्सा) में ऐंठन दर्द रहने लगता है। फिजियोथेरेपिस्ट ‘ट्रिगर प्वॉइंट रिलीज’ तकनीक के इस्तेमाल से प्रभावित हिस्से का मसाज कर मरीज को इस दर्द से राहत दिलवाते हैं तथा रीढ़ की हड्डी और पेट के विभिन्न अंगों को भी सपोर्ट करता है।

Tuesday, April 18, 2017

​गले खराश से छुटकारा दिलाएंगे दूध और पानी

​गले खराश से छुटकारा दिलाएंगे दूध और पानी http://www.drlalthadani.in/गले-खराश-से-छुटकारा-दिलाए/Please Download My App Live Healthy (Dr.Lal)

Thursday, April 6, 2017

तनाव/ अवसाद: अकेला न छोड़े – बात करे-------- डॉ लाल थदानी

7 अप्रैल विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
तनाव/ अवसाद: अकेला न छोड़े – बात करे--------
डॉ लाल थदानी
उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ( स्वास्थ्य )
अजमेर
www.drlalthadani.in
Live Healthy DrLal
                             -
 मस्तिष्क को जब पूरा आराम नहीं मिल पाता और उस पर हमेशा एक दबाव बना रहता तो इंसान तनावग्रस्त हो जाता है।तनाव से शरीर के होमियोस्टैसिस में गड़बड़ी होती है जो किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक व मनोवैज्ञानिक कार्यप्रणाली को गड़बड़ा देती है. तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोनों का स्तर बढ़ता जाता है, जिन में एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं. लगातार तनाव की स्थिति अवसाद में बदल जाती है.जो  एक गंभीर स्थिति है, । अवसाद से निबटने में एंटीडिप्रैसैंट देने से , झांड़फूंक और गंडाताबीज  करवाने से या अस्पताल में भरती करा देने भर सेे कारगर नहीं होते जितने जीवन में फिर से संतुलन लाने के प्रयास । उसे एक प्यार भरी थपकी देना जरूरी होता है.
तनाव किसी भी उम्र में हो सकता है. अस्पतालों में ज्यादातर भीड़ 30 से 45 साल के लोगों की होती है.
1.तनाव /डिप्रेशन क्यों
 तनाव के पीछे व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी कई चीजों की अहम भूमिका होती है, जैसे किसी प्रियजन का बिछुड़ना, नौकरी छूट जाना, विवाह संबंधों में टूटन, शिक्षा के क्षेत्र में असफलता आदि ! जीवन के प्रति नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों को भी अवसाद में जाने का ज्यादा डर रहता है जैसे वे सोचते हैं कि मैं सफल नहीं होऊंगा, इसलिए यह कार्य नहीं कर सकता या फिर कई लोगों के मन में हमेशा कुछ न कुछ अनहोनी का डर रहता है जिस से उन का अवसाद में जाने का खतरा बना रहता है. साथ ही कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं जिन के कारण व्यक्ति अवसाद में जा सकता है, जैसे थायराइड, विटामिन डी की कमी, कोई बड़ा ऑपरेशन आदि.कुछ दवाओं के साइड इफैक्ट्स/अवसादग्रस्त व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों की तुलना में समाज से कटा कटा रहना पसंद करता है ।

2 अवसाद के लक्षणों को पहचानें
- अत्यंत संवेदनशील हो जाना.
- ज्यादा या कम भूख लगना.
- कम या ज्यादा नींद आना.
- गुस्सा और चिड़चिड़ापन.
- थकान और ऊर्जा की कमी.
- पेटदर्द या सिरदर्द.
- ध्यान केंद्रित करने में समस्या.
-खोया खोया अथवा
- अधिक चिडचिडापन

3 तनाव का नियंत्रण : भौतिक प्रभाव
तनाव का नियंत्रण उसकी पहचान करने से आरंभ होता है। पर यह आसान नहीं होता।तनाव के वास्तविक स्रोतों की पहचान करने के लिए अपने नजरिए, आदत और आप बचने के लिए जो बहानें बनाते हैं उनपर आपको निकट से ध्यान रखना होगा:
क्या आप अपने तनाव को अस्थायी मानते हैं और भले ही आपको यह याद न हो कि पिछली बार कब आप इसके शिकार हुए थे?
क्या आप तनाव को अपने काम या घरेलू जीवन अथवा अपने व्यक्तित्व के एक अहम हिस्से के रूप में देखते हैं?
क्या आप अपने तनाव के लिए अन्य व्यक्ति या बाहरी घटनाओं को जिम्मेदाद ठहराते हैं अथवा इसे आप पूरी तरह से सामान्य या अप्रत्याशित मानते हैं?
जबतक आप अपने तनाव के निर्माण या उसे बनाए रखने में अपनी भूमिका को स्वीकार नहीं कर लेते, आपका तनाव आपके नियंत्रण में नहीं आएगा।
एक तनाव विवरणिका लिखना आरंभ करें
तनाव विवरणिका आपको जीवन के नियमित तनाव कारकों को पहचानने और उनसे निपटने में मदद करेगी। जब कभी तनाव महसूस करें आप उसके विवरणों को लिख लें। दैनिक रूप से विवरण लिखने से आपको तनाव के पैटर्न और सामान्य विषयों का अंदाजा मिल जाएगा। विवरण इस प्रकार लिखें:
आपके तनाव का कारण (यदि आपको ठीक-ठीक पता न चले तो अंदाजा लगा सकते हैं।)?
आप शारीरिक और मानसिक रूप से कैसा महसूस करते हैं।प्रतिक्रियास्वरूप आप कैसे कार्य करते हैं।
क्या करने से आप बेहतर महसूस करते हैं।
आपने हाल में जिस तरीके से तनाव से निपटा था, उनपर विचार करें। आपकी तनाव विवरणिका से आप उन बातों को पहचान सकते हैं। क्या आप सही तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं, या आप तनाव से निपटने के लिए अस्वास्थ्यकर, मददगार या अरचनात्मक विधियों का इस्तेमाल कर रहे हैं? दुर्भाग्यवश कई लोग अपने तनाव से निपटने के लिए ऐसी विधियां अपना लेते हैं, जिससे उनकी समस्या और बढ़ जाती है।
4 तनाव से निपटने के लिए आप क्या तरीकेअपनाते है
धुम्रपान
अत्यधिक पानी पीना।
अत्यधिक या काफी कम खाना।
घंटों टीवी या कंप्यूटर के सामने बैठना।
दोस्तों, परिवार वालों तथा क्रियाकलापों से बचना ।
राहत पाने के लिए गोलियों या ड्रग्स का इस्तेमाल करना।
अत्यधिक नींद लेना।
टाल-मटोल की आदत
समस्या से बचने के लिए हमेशा अपने आप को किसी अन्य चीज़ में उलझाए रखना।
अपने तनाव को दूसरे के सिर मढ़ना (घोर निंदा करना, काफी गुस्सा दिखाना, शारीरिक हिंसा)
तनाव से निपटने के कई सही तरीके हैं, पर उन सभी के लिए बदलाव लाने की जरूरत होती है। या तो हम उन परिस्थितियों को बदल दें या उनके प्रति अपनी प्रतिक्रिया में परिवर्तन ले आएं। इन बातों के बारे में गंभीरता से सोचें तथा दूसरे व्यक्तियों से इसके बारे में बात करें, साथ ही उन्हें दूर करने या कम करने के उपाय अपनाएं या तनाव ग्रस्त व्यक्ति को उस स्थिति से बाहर निकालने का प्रयास करें, जो उसके तनाव का कारण है।
तनाव ग्रस्त व्यक्ति को प्रभावित करने वाले कारक और तनाव की संवेदनशीलता पैदा करने कारकों की पहचान करें-
परिस्थिति को बदलें
तनाव पैदा करने वाले कारकों से बचे।
अपनी प्रतिक्रिया में बदलाव लाएं
तनाव पैदा करने वाले कारकों के मुताबिक अनुकूलित हो जाएं।
तनाव पैदा करने वाले कारकों को स्वीकार कर लें।
अनावश्यक तनाव से बचें
‘ नहीं’ कहना सीखें– अपनी सीमा को जानें और हमेशा उसका ध्यान रखें। व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन हो आप क्षमता से अधिक जिम्मेदारी लेने से बचें। क्षमता से अधिक जिम्मेदारी उठाने से आप तनाव के शिकार हो सकते हैं।
ऐसे लोगों से बचें जिनसे आपको तनाव पैदा होता है: यदि कोई व्यक्ति आपके जीवन में निरंतर रूप से तनाव पैदा कर रहा है और आप उस संबंध को सही नहीं कर पा रहे हैं, तो आप उस व्यक्ति के साथ व्यतीत करने वाले समय में कमी कर दें या उस संबंध को पूरी तरह से समाप्त कर लें।
अपने परिवेश को नियंत्रण में रखें: यदि शाम की ख़बरें आपको चिंतित कर जाती हैं, तो आप शाम में टीवी ऑफ रखें। यदि ट्रैफिक से आप तनाव ग्रस्त हो जाते हैं तो भले ही दूर वाली पर कम भीड़-भाड़ वाली सड़क लें। यदि आपको बाजार जाना अच्छा नहीं लगता तो आप ऑनलाइन शॉपिंग कर लें।
5 गर्मा गर्म विषय से बचें: यदि आप धर्म या राजनीति की चर्चा पर परेशान हो जाते हैं तो आप उनपर बातचीत करने से बचें। यदि आप एक टॉपिक की हमेशा चर्चा उसी इंसान से करेंगे तो आप चर्चा करने से अपने आप को बचाएं या उसे टाल जाएं।
6 आपको क्या करना है उसकी सूची बनाएं: अपने कार्यक्रम, जिम्मेदारियों और दैनिक कार्यों का विश्लेषण करें। यदि बहुत सारी चीज़ें शामिल हो जाती हैं तो आप उनमें से ‘करने लायक’ या ‘जरूरी’ के रूप में छांट लें। जो कार्य जरूरी न हों आप उन्हें हटा सकते हैं, या से सूची में सबसे नीचे रखें।
परिस्थिति में बदलाव लाएं
अपनी भावनाओं को दबाने की बजाएं उसे व्यक्त करें। यदि कोई व्यक्ति या कोई चीज़ आपको परेशान करती है तो उसके बारे में आप उस व्यक्ति से खुलकर पर सम्मानपूर्ण तरीके से बात करें। यदि आप अपनी भावनाओं का इज़हार नहीं करेंगे तो आपके मन में असंतोष पैदा होगा और स्थिति जस की तस बनी रह सकती है।

7 समझौता करने की चाह रखें: यदि आप किसी व्यक्ति को उसका व्यवहार बदलने के लिए कहते हैं तो आप भी अपने आप में बदलाव लाने के लिए तैयार रहें। यदि आप दोनों थोड़ा भी बदलाव ला सकें तो आपकी स्थिति बेहतर हो सकती है।
8 अधिक निश्चयात्मक बनें: अपनी जीवन के पिछले पायदान पर न रहें। सामने जो भी समस्या आये उसका डट कर और दक्षता पूर्वक मुकाबला करें। यदि आपकी परीक्षाएं आने वाली हैं और आपका बातूनी दोस्त आपके यहां आ जाए तो आप ठान लें कि आपको उसके साथ केवल कुछ मिनटों की बातचीत करनी है।
9 अपने समय का बेहतर प्रबंधन करें: समय का सही तरह से नियोजन न करने से तनाव पैदा हो सकता है। जब आपके पास समय कम पड़ रहा हो या आप समय के साथ पिछड़ रहे हों तो शांत और एकाग्र रहना नामुमकिन हो जाता है। पर यदि आप नियोजन के साथ चलेंगे तो आपको परेशान नहीं होना पड़ेगा और आप अपने तनाव को काफी कम कर सकते हैं।
तनाव पैदा करने वाले कारकों के अनुसार अनुकूलित होना
10 समस्याओं को नए नजरिए से देखिए: तनावग्रस्त परिस्थितियों को अधिक सकारात्मक नजरिए से लें। किसी ट्रैफिक जाम पर गुस्सा होने की बजाए, आप उसका इस्तेमाल विराम लेने, अपने आप को पुनः तैयार करने, रेडियो पर अपनी पसंदीदा रेडियो स्टेशन के कार्यक्रम सुनने और कुछ समय अकेले में बिताने के एक मौके के रूप में करें।
बड़ी तस्वीर पर नजर डालें। तनाव ग्रस्त परिस्थिति के नजरिए से देखें: अपने आप से पूछें कि लंबे समय तक इसका रहना कितना अहम होगा। क्या यह एक महीने, एक साल तक चलेगा? या यह लंबे वक्त तक चलेगा? क्या सचमुच इससे परेशान हुआ जा सकता है? उत्तर यदि नहीं होता है, तो अपना ध्यान और ऊर्जा किसी अन्य जगह लगाएं।
11 अपने मानदंडों को समायोजित करें: हर काम को पूरी दक्षता (पर्फेक्शन के साथ) से करने से तनाव से बचा जा सकता है। महज पर्फेक्शन की मांग की वजह से आप अपने आप को असफलता के हवाले न कर दें। अपने तथा अन्य व्यक्तियों के लिए उचित मानदंड तय करें और ‘पर्याप्त गहराई’ के साथ काम करने की आदत डालना सीख लें।
सकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करें: तनाव जब आप तनाव के गिरफ्त में आ रहे हों तो आप उन सभी चीजों के बारे में सोचें जिनकी आप अपने जीवन में तारीफ करते हैं, जिनमें आपके सकारात्मक गुण और ईश्वर के दिए तोहफे भी शामिल हैं। इन सरल उपायों से आपको सही दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलेगी।
जिन चीज़ों को बदल न सकें उसे स्वीकार करना सीखें
तनाव के कुछ स्रोत अनिवार्य होते हैं। ऐसे कारकों से आप बच नहीं सकते या आप उन्हें बदल भी नहीं सकते, जैसे किसी परिजन की मृत्यु, कोई गंभीर बीमारी, या कोई राष्ट्रीय मंदी। ऐसी स्थिति में उपजे तनाव से उबरने का सबसे अच्छा तरीका है चीजों को उसी रूप में स्वीकार कर लेना। भले ही स्वीकार करना कठिन होगा पर दीर्घकालिक रूप से उस परिस्थिति के विरोध में खड़ा होना जिसे आप बदल नहीं सकते, के मुकाबले यह अधिक आसान और फ़ायदेमंद होगा।
13  नियंत्रण न हो सकने वाली चीज़ों पर नियंत्रण करने का प्रयास न करें।
 जीवन में कई चीज़ें नियंत्रण से बाहर होती है- खासकर अन्य लोगों के व्यवहार। उनसे परेशान होकर तनाव लेने बेहतर होगा कि आप ऐसी चीज़ों पर अपना ध्यान केंद्रित करें जिन्हें आप अपने नियंत्रण में ला सकते हैं, जैसे कि ऐसा तरीका जिसे आप समस्याओं से निपटने के लिए चुनते हैं।
सदैव आगे की ओर देखें। कहते हैं: “जो हमें मार नहीं सकता, वह हमें मजबूत बनाता है।” बड़ी चुनौतियों से मुकाबला करते समय आप उन्हें अपने निजी अनुभव के एक मौके के रूप में देखें। यदि आपका गलत चयन आपको तनाव का शिकार बना डालता है, तो आप उनपर विचार करें और अपनी गलतियों से सीखें।
अपनी भावनाओं को बांटें: भरोसेमंद लोगों से बात करें या किसी थेरॉपिस्ट से परामर्श प्राप्त करें। यदि आपनी भावनाओं को दूसरों को बताते हैं, तो भले ही आप उसे बदल न सकें पर इससे आप हल्का महसूस करेंगे।
माफ करना सीखें: इस तथ्य को स्वीकार करें कि हम एक हम एक अधूरी दुनिया में जी रहे हैं, जहां लोग बार-बार गलतियां करते हैं। क्रोध और नाराजगी को मन से बाहर निकालें। दूसरों को माफ कर आप अपनी नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होते हैं और जीवन में आगे की ओर बढ़ते हैं। यदि आप नियमित रूप से मस्ती और आराम के लिए समय निकालते रहेंगे तो आप तनाव के कारणों से बखूबी निपट सकेंगे