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Sunday, December 31, 2017

नव वर्ष की शुभकामनाएँ …डॉ लाल थदानी

नव वर्ष की शुभकामनाएँ …डॉ लाल थदानी
२०१८ सभी को मंगलमय हो


समय की .. इस अनवरत बहती धारा में ..
अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
जिंदगी ने .. दिया है जब इतना ..
बेशुमार यहाँ .. तो फिर ..
जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!


दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ .. तो दुश्मनी ..की बातों का .. हिसाब क्या रखें ..!!
दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ ..
तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!


खुशी के दो पल काफी हैं . खिलने के लिये ..
तो फिर ..उदासियों का .हिसाब क्या रखें . !!
हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में
तो चंद दुख की बातों का..हिसाब क्या रखें .!


मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से ..
फिर काँटों की .चुभन का हिसाब क्या रखें !!
चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है ..
तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें !!


जब खयालों से ..ही पुलक ..भर जाती हो दिल में .. तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!
कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों .. फिर जरा सी .. बुराइयों का ..
हिसाब क्या रखें .. !!!
संक : डॉ लाल थदानी
Happy new year 2018

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Live every day in a better way: DrDeepa Dr Lal Thadani

        Happy New Year 2008
Live every day in a better way

Cheers to a new year and another chance for us to get it right. Let everyday find you a better man with better heart and strong determination.
                Don't let the noise of other's opinions bury your own inner voice. Have the courage to follow your heart and intuition. That will make you truly a man you really dreamed to become. Everything else is secondary. Life is yours. Live with Zeal and Enthusiasm keeping an eye open on targets and destination . Believe in yourself . Believe in relations .. Love them unconditionally .For eternal Peace and Happiness . Live and Love Life.
                             
Dr Lal Thadani
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Sunday, December 24, 2017

Merry Christmas

May this festive� season sparkle and shine, may all of your wishes and dreams come true, and may you feel this happiness all year round.
✝🍩Merry Christmas!🍿🌹
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Tuesday, November 14, 2017

विश्व मधुमेह दिवस, 14 नवम्बर

विश्व मधुमेह दिवस :डॉ दीपा डॉ लाल थदानी(World Diabetes Day)
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विश्व मधुमेह दिवस, 14 नवम्बर
विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) हर साल विश्वभर में 14 नवम्बर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मधुमेह (Diabetes) रोग के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है ताकि समय रहते इसके लक्षणों का पता कर उचित उपचार किया जा सके।

विश्व मधुमेह दिवस का इतिहास (History of World Diabetes Day)
1. पहली बार विश्व मधुमेह दिवस का आयोजन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ (International Diabetes Federation) द्वारा सन 1991 में 14 नवम्बर के दिन किया गया था।

2. विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day), 14 नवम्बर को इंसुलिन की खोज करने वाले वैज्ञानिक फ्रेडरिक का जन्म हुआ था।

मधुमेह क्या है (What is Diabetes)

खून में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक होता है, तो ऐसी स्थिति को मधुमेह रोग कहते हैं। दरअसल मधुमेह या डायबिटीज, जीवनशैली या वंशानुगत बीमारी है, जो शरीर में पैंक्रियाज ग्रंथियों (Pancreas Glands) के निष्क्रिय होने पर रोगी को प्रभावित करती है।  
पैंक्रियाज यानि अग्न्याशय ग्रंथियों के निष्क्रिय होने पर इंसुलिन (रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित करने वाला हार्मोन) बनाना बंद हो जाता है।

इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल और वसा (Fat) भी असामान्य हो जाते हैं, जिस कारण वाहिकाओं में बदलाव होता है और आंखों, गुर्दे, दिमाग, दिल आदि संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मधुमेह (शुगर) मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है

टाइप-1 मधुमेह (Type 1 Diabetes ):
यह मुख्य रूप से बचपन से युवावस्था (14 -25 उम्र) में होती है! यह मुख्य रूप से पैनक्रियास के बीटा में इन्फेक्शन के कारण होती है जिससे इन्सुलिन को उत्पन नहीं किया जा सकता! आम तौर पर इसके रोगी नियमित रूप से बाहर से इन्सुलिन शरीर में लेते हैं!

टाइप-2 मधुमेह (Type 2 Diabetes ):
यह मुख्य रूप से वयस्कों में होती है और इसमें शरीर सही रूप से इन्सुलिन का उपयोग नहीं कर पाता!

मधुमेह का सामान्य स्तर (Normal Level of Diabetes)
खून में शर्करा (शुगर) का सामान्य स्तर निम्न प्रकार है:
भूखे पेट (व्रत के दौरान) 100 मिग्रा से कम होना चाहिए।
खाना खाने से पहले 70 से 130 मिग्रा के बीच होना चाहिए।
खाना खाने के बाद रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 180 मिग्रा से कम होनी चाहिए।
सोते समय खून में शर्करा की सामान्य मात्रा 100 से 140 मिग्रा होती है।

ये 10 लक्षण बताएंगे कहीं आप भी तो डायबिटीज के शिकार नहीं!

क्या हैं डायबिटीज के लक्षण:-

बार-बार वॉशरूम जाना-
डायबिटीज पेशेंट के लिए खाना पचाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है जिसके चलते मरीज को बार-बार वॉशरूम जाना पड़ता है।

ज्यादा पानी पीना-
बार बार वॉशरूम जाने के बाद शरीर में पानी की कमी हो जाएगी जिसके बाद प्यास लगेगी। ऐसे में कुछ लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए जूस, सोडा, चॉकलेट मिल्क आदि चीजें खाते पीते रहते हैं। शुगर से बनी और पैक्ड इन चीजों को लेने से मरीज की परेशानी और बढ़ जाती है।

वजन घटना-
वजन ज्यादा होना डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है वहीं वजन कम होना भी डायबिटीज होने का एक संकेत हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार वजन कम होने के दो कारण हो सकते हैं, पहला बार-बार वॉशरूम जाना और दूसरा ब्लड में मौजूद कैलोरी को अवजॉर्ब ना कर पाना।

अचानक कमजोरी महसूस होना और भूख लगना-
डायबिटीज के मरीज अचानक कमजोरी महसूस करने लगते हैं। जब पेशंट को हाई ब्लड शुगर होता है तो शरीर ग्लूकोज को मैनेज करने में परेशानी होती है।

हमेशा थकान रहना-
काम करने के दौरान या बाद में थकान होना आम बात है लेकिन हमेशा थकान बनी रहती है तो यह संकेत है कि आपको अपनी सेहत पर ध्यान देने और चेकअप करवाने की जरूरत है। टाइप-2 डायबिटीज में मरीज का शुगर लेवल कुछ समय के लिए बढ़ जाता है। तो इसके लक्षण धीरे-धीरे नजर आते हैं।

मूडी और गुस्सैल होना-
ब्लड में शुगर लेवल के ठीक ना होने पर मरीज अक्सर मूडी हो जाता है और उसे जल्दी गुस्सा आने लगता है। डायबिटीज के पेशेंट के लक्षण, डिप्रेशन के पेशेंट के लक्षण जैसे ही लगते हैं। मरीज का बाहर जाने का मन नहीं करता, कुछ करने का मन नहीं करता, केवल सोने का मन करता है।

ठीक से ना देख पाना-
डायबिटीज के शुरुआती स्टेज में ठीक तरह से देखने में दिक्कत होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे आंखों की रौशनी के खत्म होने का डर है। 6 से 8 हफ्ते के बाद ब्लड शुगर के स्थिर होने पर आंखों से ठीक दिखने लगता है।

किसी भी चोट या जख्म का धीरे ठीक होना- अगर शरीर पर लगी कोई भी चोट देर में ठीक होती है तो अपनी जांच जरूर करवाएं, ये डायबिटीज का संकेत हो सकता है।

पैरों में झनझनाहट होना-
डायबिटीज के कारण पैरों में झनझनाहट महसूस होने लगती है।

इंफेक्शन का जल्द ठीक ना होना-
शरीर में ग्लूकोज की कमी के कारण, बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है जिसके कारण स्किन इंफेक्शन के साथ और कई तरह के इंफेक्शन भी हो जाते हों जल्दी ठीक नहीं होते।

अन्य लक्षण
थकान, कमजोरी, पैरों में दर्द, क्योंकि ग्लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाता।
पैर का घाव ठीक न होना या गैंग्रीन का रूप ले लेना।
अधिक पेशाब और भूख लगना।
वजन कम होना।
बार- बार चश्मे का नंबर बदलना।
जननांगों में खुजली और संक्रमण होना।
दिल या मानसिक समस्याएं।

मधुमेह की जांच के निदान (Diagnosis for Diabetes)
मधुमेह की जांच के लिए कई परिक्षण किए जाते हैं, जो निम्न लिखित हैं:

बेनेडिक्ट टेस्ट (Benedict Test)

ग्लूकोज ऑक्सीडेज टेस्ट (Glucose Oxidase Test)

खाली पेट रक्तशर्करा की जाँच (Sugar Level)

ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट (Glucose Tolerance Test)

भारत मे मधुमेह की समस्या (Diabetes in India)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डायबिटीज यानि मधुमेह एशिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिसका प्रभाव सबसे अधिक भारत में देखा गया है। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन के मुताबिक, भारत में लगभग में 6.5 करोड़ वयस्क डायबिटीज और 7.7 करोड़ लोग प्री डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं।

मौजूदा स्थिति को देखते हुए कई स्वास्थ्य संगठनों ने यह अनुमान लगाया है, कि भारत में साल 2030 तक मधुमेह से पीड़ितों की संख्या लगभग 10 करोड़ और 2035 तक 10.9 करोड़ तक पहुंच सकती है।

भारत की मेटाबोलिक सर्जरी फाउंडेशन (Indian Metabolic Surgery Foundation Report) द्वारा, बरिएट्रिक सर्जरी से मधुमेह का उपचार किया गया है, जिससे 2011 में लगभग 3500 और 2013 10,000 पीड़ितों का इलाज किया गया था।

आहार के साथ जरूरी सा‍वधानियां (Precautions with Diet in Diabetes)बचाव ही उपचार है

नियमित शुगर स्‍तर की जांच कराए।
किसी भी तरह के घाव को खुला ना छोड़ें।
फलों का रस लेने के बजाय, फल खायें।
व्यायाम करें और अपना वजन नियंत्रित रखें।
योग भी डायबिटीज के रोगियों के लिए अच्‍छा है।

अभी तक डायबिटीज का कोई भी ठोस इलाज नहीं है, लेकिन इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी बरतने और नियमित रूप से व्‍यायाम करने की जरूरत है।
मधुमेह की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उचित विकल्प और दृढ़ संकल्प बहुत ही जरूरी है। इसके अतिरिक्त रक्त में ग्लूकोज की मात्रा की नियमित जांच, व्यायाम, देखभाल, नियमित जीवनशैली भी मधुमेह की समस्या को दूर करने में सहायक है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

Thursday, November 9, 2017

Delhi after pollution

Look what I shared: Odd-even rule back in Delhi after pollution hits record levels @MIUI| http://en.newsdogshare.com/a/article/5a0457e612313a00a33ff4e0/?company=android:xiaomi&source=offline

Monday, October 23, 2017

Grab d Opportunity : Live n Love Life : Dr Deepa Dr Lal Thadani

Grab d Opportunity : Live n Love Life : Dr Deepa Dr Lal Thadani
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Life isn't about finding yourself. Its about creating yourself. Accept responsibility for your life. Know that it is you who will get you where you want to go.
The most important thing is to enjoy your life - to be happy.
Its all that matters.
I have found that if you love life, life will love you back.
Life is really simple, but we insist on making it complicated.     
In the end, it's not the years in your life that count. It's the life in your years.
There is only one big risk you should avoid at all costs, and that is the risk of doing nothing.
People have different reasons for the way they live their lives.
You get in life what you have the courage to ask for.
Work like you don't need the money, love like you've never been hurt and dance like no one is watching.
When one door closes, another opens; but we often look so long and so regretfully upon the closed door that we do not see the one that has opened for us. There comes a time when you have to choose between turning the page and closing the book.The purpose of life is not to be happy. It is to be useful, to be honorable, to be compassionate, to have it make some difference that you have lived and lived well. Believe that life is worth living, and Life is a progress, and not a station.Life is 10% what happens to us and 90% how we react to it.  It is not the length of  life,  but depth of life. .  Many of life's failures are experienced by people who did not realize how close they were to success when they gave up. Never begin your lives simply to end the day .
Life is about making an impact, not making an income.      
Strive not to be a success, but rather to be of value.
The two most important days in your life are the day you are born and the day you find out why.  . Your time is limited, so don't waste it living someone else's life. Just Grab the opportunities . Live and Love Life.Life isn't about finding yourself. Its about creating yourself. Accept responsibility for your life. Know that it is you who will get you where you want to go.
The most important thing is to enjoy your life - to be happy.
Its all that matters.
I have found that if you love life, life will love you back.
Life is really simple, but we insist on making it complicated.     
In the end, it's not the years in your life that count. It's the life in your years.
There is only one big risk you should avoid at all costs, and that is the risk of doing nothing.
People have different reasons for the way they live their lives.
You get in life what you have the courage to ask for.
Work like you don't need the money, love like you've never been hurt and dance like no one is watching.
When one door closes, another opens; but we often look so long and so regretfully upon the closed door that we do not see the one that has opened for us. There comes a time when you have to choose between turning the page and closing the book.The purpose of life is not to be happy. It is to be useful, to be honorable, to be compassionate, to have it make some difference that you have lived and lived well. Believe that life is worth living, and Life is a progress, and not a station.Life is 10% what happens to us and 90% how
we react to it.  It is not the length
of  life,  but depth of life. .            Many of life's failures are experienced by people who did not realize how close they were to success when they gave up. Never begin Your lives Simply to end the day
Life is about making an impact, not making an income.      
Strive not to be a success, but rather to be of value.
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Thursday, October 19, 2017

प्रदूषण मुक्त दीपावली : डॉ थदानी

प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाएं :
स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाएं
डॉ लाल थदानी Dy Cmho Ajmer
डॉ दीपा थदानी Prof.Jln Hosp Ajmer

दीपावली खुशियों एवं रोशनी का त्यौहार है। बेशक घर आंगन और देहरी पर दीप जलाएं।  दीप जलाना बहुत रमणीय भी लगता है। लेकिन दीपों के साथ-साथ लोग पटाखे भी जलाते हैं। पटाखों का कुछ पल का मजा वातावरण में जहर घोल देता है।  दीपावली के दौरान छोड़े जाने वाले तेज आवाज के पटाखे पर्यावरण के साथ  जन स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं। दीपावली के दौरान पटाखों एवं आतिशबाजी के कारण दिल के दौरे, रक्त चाप, दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है ।
         दीपावली का समय आते ही लोग घर की साफ-सफाई में जुट जाते हैं और घर के बेकार सामानों को बाहर फेंक देते हैं। इनमें कुछ ऐसे सामान भी होते हैं, जो अजैविक होते हैं और वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे सामानों को इधर-उधर ना फेंकें।
             पटाखों से निकलने वाली आवाज अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण फैलाती हैं और यह स्वास्‍थ्‍य के लिए भी हानिकारक होती है। दीपावली में सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लाये जाने वाले ‘लक्ष्मी बम’ से 100 डेसिबेल (ध्वनि नापने की इकाई) आवाज आती है और 50 डेसिबेल से तेज़ आवाज़ के स्तर को मनुष्य के लिए हानिकारक माना जाता है। शायद आप नहीं जानते, आवाज के 10 डेसीबल अधिक तीव्र होने के कारण आवाज की तीव्रता दो दोगुनी हो जाती है, जिसका बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दिल तथा सांस के मरीजों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।अचानक बहुत तेज आवाज सुनने से व्यक्ति बहरा भी हो सकता है और इस कारण हृदय के मरीजों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।शोर से नवजात बच्चों भी डर जाते है। प्रदूषण पशु-पक्षियों तथा जानवरों के लिये भी अभीष्ठ नहीं है।
    अधिक रोशनी और शोरगुल वाले पटाखों के कारण साथ ही जलने, आंख को गंभीर क्षति पहुंचने ,अंधता और कान का पर्दा फटने और बहरापन, रक्तचाप बढ़ने और दिल के दौरे पड़ने की घटनायें बढ़ जाती हैं।
         पटाखों से सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड आदि हानिकारक गैसें हवा में घुल जाती हैं।
दिवाली के बाद अस्पताल आने वाले हृदय रोगों, दमा,नाक की एलर्जी,ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों की संख्या अमूमन दोगुनी हो जाती है। पटाखों के चलाने से स्थानीय मौसम प्रभावित होता है तथा निम्न बीमारियों की सम्भावना बनती और बढ़ती है-

  घटक                   सेहत पर प्रभाव

1. तांबा                  श्वास तंत्र में जलन
2. कैडमियम           किडनी को हानि,
                             रक्त अल्पता।     
3. सीसा                 स्नायु तंत्र को हानि
4. मैगनिशियम        बुखार
5.  सोडियम           त्वचा पर असर
6. सल्फर डाइ         दम घुटना
     ऑक्साइड        ऑखों , गले में जलन
7.   नाइट्रेट             मस्तिष्क को क्षति
                            बेहोशी की सम्भावना ।

      औद्योगिक इलाकों की हवा में महानगरों में वाहनों के ईंधन से निकले धुएँ के कारण सामान्यतः प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक होता है और नुकसान का स्तर कुछ दिनों के लिये बहुत अधिक बढ़ जाता है।उसके कारण अनेक जानलेवा बीमारियों यथा हृदय रोग, फेफड़े, गालब्लेडर, गुर्दे, यकृत एवं कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, फटाकों से निकले धुएँ के कारण वातावरण में दृश्यता घटती है। दृश्यता घटने से वाहन चालकों कठिनाई होती है और कई बार वह दुर्घटना का कारण बनती है। इसके अलावा पटाखे बनाने वाली कम्पनियों के कारखानों में होने वाली दुर्घटनाएँ और मौतें कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनसे सबक लेना चाहिए।
इसके अलावा, पटाखों से मकानों में आग लगने तथा लोगों खासकर बच्चों के जलने की सम्भावना होती है ।
इसलिये सावधानी हटी दुर्घटना घटी ।

कैसे बरतें सावधानी:
        अगर आपको दमा या सांसों से संबंधी समस्या हैं, तो घर के अंदर ही रहें और धुंए से बचने का प्रयास करें। ऐसे में अगर आपको बाहर जाना ही है, तो अपनी दवाएं साथ रखें और मास्क लगाकर बाहर जायें।
           सभी लोग खासकर बच्चों को नीचे लिखी बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
1. पटाखों को सुरक्षित जगह पर रखें। उन्हें ज्वलनशील पदार्थों से दूर जाकर ही जलाएँ।
2. वाहनों के आसपास पटाखे नहीं जलाएँ।
3. पटाखे जलाते समय सूती कपड़े पहनें। सिन्थेटिक कपडे ज्वलनशील होते हैं।
4. पटाखे जलाते समय घर की खिड़की और दरवाजे बन्द रखें। इससे आग लगने का खतरा घटेगा।
5. हाथ में रखकर फटाके नहीं जलाएँ। बच्चों को वयस्कों/बुजुर्गों की देखरेख में पटाखे जलाने दें।
6. साधारण जली हुई जगह पर तत्काल पानी डालें और दवा लगाएँ।
7. घर में पानी, रेत, कम्बल और दवा का इन्तजाम रखें।
8. धुएँ से दूर रहें। धुएँ में श्वास नहीं लें।
9. जोरदार आवाज करने वाले फटाकों से छोटे बच्चों और अस्वस्थ वृद्धों को दूर रखें। उनसे बहरेपन का खतरा होता है।

  भारत का संविधान और अधिकार :

स्वास्थ्य मानकों की अनदेखी, बाल मजदूरी नियमों की अवहेलना या असावधानी मानव अधिकारों के उलंघन के प्रति सरकार गंभीर है । उल्लेखनीय है कि भारत का संविधान रेखांकित करता है कि स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना केवल राज्यों की ही जिम्मेदारी नहीं है अपितु प्रत्येक नागरिक का दायित्व भी है। आर्टिकल 48 अ और आर्टिकल 51 अ (जी) तथा आर्टिकल 21 की व्याख्या से उपर्युक्त तथ्य उजागर होते हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सुरक्षित सीमा (125 डेसीबल) से अधिक शोर करने वाले पटाखों के जलाने पर रोक लगाई है। इसके अलावा शान्तिपूर्ण माहौल में नींद लेने के आम नागरिक के फंडामेंटल अधिकार की रक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय ने दीपावली और दशहरे के अवसर पर रात्रि 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक पटाखों के चलाने को प्रतिबन्धित किया है। पटाखों का उपयोग हमारी परम्परा का अंग है। चूँकि हमारी परम्परा पर्यावरण की पोषक रही है इसलिये हमें पर्यावरण हितैषी और सुरक्षित दीपावली मनाना चाहिए। यह काम प्रत्येक नागरिक अपने स्तर पर खुद कर सकता है। 
पर्यावरण हितैषी और सुरक्षित दीपावली मनाने के लिये निम्न कदम उठाए जा सकते हैं-
1. पटाखों का कम-से-कम उपयोग। इससे पर्यावरणी नुकसान कम होंगे। कम कचरा पैदा होगा। कचरा निष्पादन पर अधिक बोझ नहीं पड़ेगा।
2. कतिपय प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा दोहन को लगाम लगाने के लिये कम-से-कम अनावश्यक खरीद। इससे पर्यावरणी नुकसान का स्तर का ग्राफ थमेगा।
3. दीपावली पर कम अवधि के लिये बिजली का उपयोग। ऐसा करने से बिजली उत्पादन करने वाले संसाधनों की खपत पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा।

प्रदूषण मुक्त स्वस्थ जीवन जिये
Lets Promote Pollution Free Healthy Life .

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Saturday, September 30, 2017

Happy Dusshera : Dr Lal Thadani

*अधर्म पर धर्म
असत्य पर सत्य *
की जीत के प्रतीक 
*विजयादशमी* पर्व की
हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं*।
डॉ लाल थदानी ।
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Sunday, September 10, 2017

स्वाइन फ्लू: न डरें न डराएं /डॉ लाल थदानी

स्वाइन फ्लू: न डरें न डराएं /डॉ लाल थदानी
       संक्रमण से बचाव ही उचित उपाय
डॉ लाल थदानी
उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (स्वा.) www.drlalthadani.in

स्वाइन फ्लू- H1N1  एक वायरल बुखार है जो वायरस से फैलता है।  यदि आपको सर्दी, खांसी और बुखार हो और यह 2-3 दिनों में ठीक न हो, तो नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र अथवा अधिकृत चिकित्सक से H1N1 की जांच कराएं। 

भारत में घटनायें 2009, 2010, 2012 और 2013 में 2015 में सबसे ज्यादा रही हैं,
स्वाइन फ्लू के मामलों में मौसम में अचानक परिवर्तन विशेष रूप से बारिश की वजह से स्वाइन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है। वातावरण में नमी बढ़ने के साथ भी यह तेजी से फैलने लगता है। जनवरी-फरवरी के दौरान भी वृद्धि हुई है और वर्तमान में मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के राज्यों से रिपोर्ट मिल रही है।

क्या है स्वाइन फ्लू के लक्षण?
स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य / मौसमी एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही होते हैं।

नाक का लगातार बहना, छींक आना, हल्का बुखार
ठंड लगना, कमजोरी , भूख न लगना
कफ, कोल्ड और लगातार सूखी खांसी 
मांसपेशियों में दर्द या अकडऩ 
सिर में भयानक दर्द
नींद न आना, ज्यादा थकान 
दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा
गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना
कुछ लोगों को उल्टी और दस्त भी हो सकती है

गंभीर संक्रमण का खतरा : विशेष सावधानी
बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को
डायबिटीज , ब्लड प्रेशर , हृदय अथवा अन्य गंभीर रोग ,

न डरें न डराएं : ऐसे करें बचाव :
1. दूरी बनाकर रखें: 
किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो स्वयं भीड़ से बचना चाहिए ।
बच्चों में इंफ्लेन्ज़ा लक्षण पाए जाने पर अभिभावक उसे स्कूल न भेजें ।
उससे कम से कम 3 फीट की दूरी बनाए रखें। स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।
बहुत जरूरत पड़ने पर मास्क का या साफ कपड़ा प्रयोग करें ।

2. गले न मिलें: अगर किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे हाथ मिलाने और गले मिलने से बचना चाहिए।

3. हाथ साबुन से धोएं : अपने हाथों को हमेशा साबुन और पानी से करीब 20 सेकंड तक अच्छी तरह से धोएं। ये कई तरह के सामान्य संक्रमणों को रोकने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है ।

4. टीका लगवाएं: 
इंफ्लेन्ज़ा का टीका लगवाएं।  H1N1 संक्रमण से बचाव के लिए यह सबसे बढ़िया रास्ता है।
स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है। 
इसका उपचार भी अब मौजूद है। 
आराम, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना 
शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। 
बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।
डॅाक्टरी परामर्श के बाद ही दवा का सेवन करें।
 
इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) लोगों के बीच कैसे फैलता है?
यह नया इन्फ्लूएंजा वायरस मौसमी फ्लू के सामान ही फैलता हैं; छोटी बूंदों के रूपमें, एक संक्रमित व्यक्ति की नाक और मुंह से, जब वो बात करते हैं खांसते या छींकते हैं। लोग संक्रमित हो सकते हैं अगर वो इन बूंदों को साँस में लेते हैं और वो किसी व्यक्ति या ऐसी चीज़ को छूते हैं जो कि वायरस से दूषित है (उदाहरण के लिए एक प्रयोग किया ऊतक या दरवाज़े के हैंडल) और फिर अपनी आँख और नाक को छूते हैं।अगर वे इन बूंदों को साँस लोगों को संक्रमित हो सकता है या फिर उनकी नाक या आंखों को छूने अगर वे किसी को या कुछ है कि वायरस से दूषित है (उदाहरण के लिए एक प्रयोग किया ऊतक या दरवाज़े के हैंडल) को छूने से ।

क्या इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) से लोगों की रक्षा करने के लिए कोई टीका है ?

सीजनल फ्लू शॉट से दो या तीन तरह के इन्फ्लूएंजा वायरस, जिसमें H1N1 वायरस भी शामिल है, के खिलाफ रक्षा में मदद मिलेगी। टीका एक इंजेक्शन या एक नाक स्प्रे के रूप में उपलब्ध है। उसके लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

क्या उपचार उपलब्ध है?
कुछ एंटीवायरल दवायें, जैसे कि टैमीफ्लू आपके जीपी के पास उपलब्ध हैं। इससे रोग घटती है और जटिलताओं का खतरा कम होता है। इन दवाओं दुष्प्रभाव का कारण है और इसलिए अपने जीपी केवल उन्हें सुझाएगा यदि लाभ जोखिम पल्ला झुकना नहीं, सभी के लिए उपयुक्त हो सकता है।

अपनी मदद करने के लिए और अपने परिवार की रक्षा के लिए मुझे क्या सावधानियां बरतनी होंगीं?
शुद्धता और स्वच्छता वायरस की एक विस्तृत श्रृंखला, जिसमें इन्फ्लूएंजा वायरस भी शामिल है, उसके प्रसार को कम करने में मदद कर सकते हैं।

स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी की सलाह है कि हर कोई हर समय इन सावधानियों का पालन करें:

• बार-बार साबुन और पानी से अपने हाथ धोयें 
• जब खाँसी या छींक आये, तो अपने मुंह और नाक को एक टिश्यू से ढक लें, यदि संभव हो 
• इस्तेमाल किये टिश्यू का तुरंत और सावधानी के साथ निपटारा करें। उन्हें एक बैग में डाल कर फिर पात्र में फेंकें 
• स्वच्छ कठोर सतहों (उदाहरण के लिए दरवाज़े के हैंडल) को नियमित साफ़ रखें
• सुनिश्चित करें कि बच्चे इस सलाह का पालन करें

अगर आप एक प्रभावित देश/राज्य की यात्रा करने का इरादा रखते हैं, तो आपको स्थानीय पर्यटन कार्यालयों द्वारा प्रदान की सलाह पर गौर करना चाहिए।

अपने हाथ धोने से कैसे मेरा बचाव होता है?
नियमित अपने हाथ धोना बीमारियों की एक विस्तृत श्रृंखला, इन्फ्लूएंजा सहित से खुद को बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। हर बार जब आप कुछ स्पर्श करते हैं, तो कीटाणु आपके हाथों पर आ सकते हैं। मैले हाथों से अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने से आपके शरीर में अपने हाथों से कीटाणुओं का हस्तांतरण हो सकता है। अपने हाथ नियमित धोने से आपको कीटाणुओं को दूर करने और उन्हें आप और अन्य लोगों तक फैलने से रोकने में मदद मिलती है, आप और संक्रमण की एक विस्तृत श्रृंखला से बच सकते हैं।

मैं कैसे सतहों से फ्लू के वायरस को दूर कर सकता हूँ?
संक्रमित व्यक्ति अद्वारा आसपास की तहों पर रोगाणु फैल सकते हैं जब वे खांसते या छींकते हैं, या अपने मैले हाथों से अथवा इस्तेमाल किये टिश्यू के साथ उन्हें छूते है । सतहों की नियमित रूप से सफाई, आपके घर, आप और अन्य लोगों में इन्फ्लूएंजा वायरस और अन्य कीटाणुओं से होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं।

डिटर्जेंट और पानी के साथ सतहों की सफाई से किसी वस्तु से कीटाणुओं को दूर कर सकते हैं, बशर्ते कि आप सभी सतहों को अच्छी तरह से रगड़ कर साफ़ पानी से धो देते हैं। हालांकि, जहां रगड़ना संभव नहीं है (जैसेकि बड़ी या फिक्स्ड सतह, रसोई वर्कटॉप्स, टॉयलेट फ्लश और दरवाज़े के हैंडल आदि) वहाँ कीटाणुओं को मारने में मदद करने के लिए एक कीटाणुनाशक का उपयोग महत्वपूर्ण है। ऐसी सतहें जहाँ लोग अक्सर अपने हाथों से स्पर्श करते हैं उन्हें साफ और कीटाणुरहित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है:

• हैंडल्स और स्विच 
• नल और टॉयलेट फ्लश के हैंडल 
• किचन वर्कटॉप्स 
• टेलीफोन रिसीवर्स 
• कंप्यूटर कीबोर्ड्स

सतहों को ऐसे प्रोडक्ट्स के उपयोग से साफ़ और कीटाणुरहित करना जोकि इन्फ्लूएंजा वायरस को नष्ट करने का आश्वासन देते हैं।

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क्या सूअर का मांस और सूअरों से निर्मित अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन सुरक्षित है? 
ठीक से संभाले और तैयार सूअर के मांस या सूअरों से प्राप्त अन्य खाद्य पदार्थ (जैसे बेकन, सॉसेज) खाने से इन्फ्लूएंजा नहीं हो सकता। हालांकि, अच्छी भोजन स्वच्छता संक्रमण की एक विस्तृत रेंज को रोकने में मदद करती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खाने को हमेशा स्वच्छता से तैयार किया जाये।

• ठीक से संभाले और तैयार सूअर के मांस या सूअरों से प्राप्त अन्य खाद्य पदार्थ (जैसे बेकन, सॉसेज) खाने से इन्फ्लूएंजा नहीं हो सकता। हालांकि, अच्छी भोजन स्वच्छता संक्रमण की एक विस्तृत रेंज को रोकने में मदद करती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खाने को हमेशा स्वच्छता से तैयार किया जाये। 
• कच्चे मांस को पकाये हुए या खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थ से दूर रखें 
• कच्चे मांस को तैयार करने के लिए एक अलग चौपिंग बोर्ड और चाकू का इस्तेमाल करें 
• कच्चे मांस को संभालने के बाद अपने हाथों को तुरंत धो लें 
•कच्चे मांस के साथ संपर्क के बाद और बर्तन और सतहों को तुरंत स्वच्छ और कीटाणुरहित करें

किसी में फ्लू के लक्षण विकसित हों, तो उन्हें क्या करना चाहिए
अगर आप एक ऐसे क्षेत्र में रहते हैं या हाल ही में रहना शुरू किया हो जो इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) से प्रभावित है, और फ्लू जैसे लक्षण अनुभव कर रहे हैं, तो आपको दूसरों के साथ संपर्क सीमित करने के लिए घर पर रहना है, और अपने को फोन कर अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

Action Plan
District Administration
Nodal Officer DyCmho Health MD Psm
Vetenary
Nigam
Medical and Health
Early Diagnosis Prompt Treatment
Iec
Daily Door to Door Survey with Anm & Asha supervised by MO . Blood slide collection . Report suspected. Give Temiflu before referring B category

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