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Saturday, November 30, 2019

विश्व एड्स दिवस 2019 पर विशेष

विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर विशेष :

क्या आप जानते हैं (आगामी प्रकाशनादीन धृतराष्ट्र पुस्तक से उद्धृत )

(ना नियमों का पालन हुआ न कर्तव्यों का पालन हुआ । क्यों, किसके लिए, कैसे
धृतराष्ट्र बने ...

1). राजस्थान प्रदेश में एचआईवी एड्स का नोडल ऑफिसर प्रत्येक जिले में उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी स्वास्थ्य को बनाया गया है । अजमेर से डॉ लाल थदानी को छोड़कर । ये अपवाद क्यों (जानिए अगले कुछ अंकों में  )
1. अजमेर में एचआईवी एड्स की आवाज सबसे पहले जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर में एक बहुत बड़े सेमिनार के रूप में 1984 में मेरे द्वारा उठाई गई थी । उसके 6 महीने बाद पुष्कर से एक विदेशी नागरिक एचआईवी पॉजिटिव पहला मरीज घोषित हुआ । डॉ सिसोदिया ने छात्र सदस्य के रूप में इसमें भाग लिया था ।

2). दैनिक नवज्योति ने अंतिम पृष्ठ पर चार फोटो और आधा पेज कवर किया था । सम्मानीय श्री दीनबंधु चौधरी जी के सिटीजन कौंसिल में मै और दिवंगत मंत्री श्री किशन मोटवानी जी सम्मानित सदस्यों में से एक थे।

3). विश्व एड्स की इंटरनेशनल संस्था द्वारा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 91 चेन्नई और दिल्ली  राष्ट्रीय सम्मेलन 92 में भाग लेने के लिए मुझे स्कॉलरशिप दी गई थी । चेन्नई में डॉ वीके माथुर ने सम्मेलन फीस देकर मेरे साथ भाग लिया था ।

4). DPC 2007 से कैडर पोस्ट प्रमोशन पश्चात 1 जनवरी 2008 से मैंने उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी स्वास्थ्य पदभार संभाला और by डिफॉल्ट जो नौकरी से पूर्व चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा में अपने स्तर पर राष्ट्रीय कार्यक्रम करता था अब सरकारी पद पर रहते हुए काम करने का अवसर मिला ।

5). मलेरिया , लेप्रोसी, कुष्ठ रोग एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम का बजट सीएमएचओ और कार्यालय सहायक ओम जीनगर देखते थे और उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी नवपद सृजन के बाद स्वास्थ्य विभाग में सर्वे सर्वा श्री ओम जीनगर प्रभावहीन हो गए थे । पहले बजट पर निगाह और हथेली उनकी थी ।

6). डिस्ट्रिक्ट यूनिट का गठन जून 2008 से हुआ । एचआईवी पीड़ितों के लिए समाज , कल्याण विभाग , जिला रसद अधिकारी , रेलवे और रोड़वेज से लड़कर हमने उनके लिए सरकार से अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई ।

7).इस दौरान सामान्य लड़की से एचआईवी पॉजिटिव की हो रही शादी  फिल्मी ड्रामे के तहत को रुकवाने में मेरी जिला प्रशासन , नवज्योति से बोल्ड महिला पत्रकार ने मेरा साथ दिया।

8). जिला प्रशासन ने 26 जनवरी 2009 को मेरे से आवेदन मांगा जिसे मेरे जिला अधिकारी ने हंसकर टाल दिया ।

9) डॉ वीके माथुर के निर्देशक बनने पर मैंने उन्हें पत्र लिखकर अवगत कराया कि अर्बन मलेरिया स्कीम अजमेर में जेडी अजमेर के अधीनस्थ है शेष जिलों में सीएमएचओ उसकी मॉनिटरिंग करता है । समस्त जिलों में एचआईवी एड्स का नोडल अफसर डिप्टी सीएमएचओ होता है अजमेर को छोड़कर ।

10).भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का नोडल ऑफिसर अतिरिक्त/उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी परिवार कल्याण है तो मुझे वरिष्ठता को देखते हुए यह पद दे दिया जाए क्योंकि डॉ के के सोनी के पास ट्रिब्यूनल कोर्ट से मेरे स्टे और सीनियरिटी केस के बावजूद दो वरिष्ठ पद होने से इसकी मॉनिटरिंग और सुदृढ़  क्रियान्विति संभव नहीं। केस डॉक्टर के के सोने के विरुद्ध अभी भी चल रहा है और और ने सीएमएचओ रेगुलर भी कर दिया गया जबकि उच्च न्यायालय में भी स्टे है यह कहते हुए कि डॉ लाल थदानी की वरिष्ठता और विशेषज्ञता का बार-बार उल्लंघन हो रहा है । मेडिकल कैडर का मजाक जितना राजस्थान में हुआ है उतना किसी अन्य प्रदेश में नहीं हुआ ।

11).तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री गौरव गोयल ने भी सरकार को पत्र लिखा कि डॉक्टर के के सोनी से वरिष्ठ है और वह डॉक्टर थदानी को कॉर्पोरेट (सहयोग) नहीं कर रहे इसलिए परिवार कल्याण विभाग की जिम्मेदारी डॉ थदानी को दे दी जाए ।

इस पत्र के अलावा , वरिष्ठ आईएएस श्री नीरज के पवन की नोट शीट कि मेरे अधीन जेडी आईईसी के रिक्त पद पर  जयपुर निदेशालय में डॉ लाल थदानी को लगाया जाए (2016) लेकिन 1 अधिकारी ने कभी नहीं चाहा कि मै सुकून से रहूं । न जयपुर न अजमेर ।


क्रमशः

Wednesday, November 20, 2019

राजा वीर विक्रमादित्य

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य..... ????
जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था
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उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...
बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ,
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आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमदित्य के कारण अस्तित्व में है
अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे
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रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया
विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है
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महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया
उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है
विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे
भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमदित्य के सोने के सिक्के देख सकते हैं।
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हिन्दू कैलंडर भी विक्रमदित्य का स्थापित किया हुआ है
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।
कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे ,
विक्रमदित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था
विक्रमदित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी
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पर बड़े दुःख की बात है की भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में कांग्रेसी और वामपंथीयों का इतिहास भारत की जनता को शून्य ज्ञान देता है, कृपया आप शेयर करे
ताकि देश जान सके कि सोने की चिड़िया वाला देश का राजा कौन था ।

छींकना मगर एहतियात के साथ

*छींक रोकना बेहद खतरनाक हो सकता है,
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छींकना आमतौर पर अशुभ माना जाता है लेकिन कुछ छींक शुभ भी होती है*
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*✍🏽⭕तिलक माथुर*
*केकड़ी_राजस्थान* (19.11.2019)
छींक आना एक प्राकृतिक क्रिया है और स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी है। दरअसल, जब कोई बाहरी तत्व हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा होता है तो उसे बाहर निकालने के लिए भी शरीर ये प्रतिक्रिया देता है।हमें छींक आ जाती है और वो संक्रामक चीज बाहर ही रह जाती है । सही मायनों में कहा जाए तो ये हमारे शरीर की सुरक्षा प्रक्रिया है। जब हम छींक रोकते हैं तो वो प्रेशर हमारे नाक या गले की कोशिकाओं पर दबाव डालकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। कई बार इसका असर दिमाग पर भी हो जाता है। कई बार ऐसा होता है कि सार्वजनिक रूप से छींकना हमें सही नहीं लगता है और हमारे छींकने से आस-पास के लोग भी असहज हो जाते हैं। यही वजह है कि हम 'एक्सक्यूज मी' कहकर छींकते हैं, पर क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि  सामने वाला आपको 'गॉड ब्लेस यू' क्यों कहता है.
दरअसल, छींक जिंदगी और मौत से जुड़ी  है। जी हां, ये बिल्कुल सच है कि छींक रोकना बेहद खतरनाक हो सकता है। हो सकता है कि आपके शरीर के दूसरे अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़े। दरअसल, छींक बहुत तेज गति के साथ आती है। ऐसे में जब हम छींक रोकते हैं तो वो प्रेशर हमारे नाक या गले की कोशिकाओं पर दबाव डालकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। कई बार इसका असर दिमाग पर भी हो जाता है।

छींक रोकने से स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। छींक आने के दौरान हमारे नासा-छिद्रों से तेज रफ्तार में हवा बाहर आती है। अगर आप छींक रोकते हैं तो ये सारा दबाब दूसरे अंगों की ओर मुड़ जाता है। इससे सबसे अधिक नुकसान कान को हो सकता है। हो सकता है कि ऐसा करने से आपके ईयर-ड्रम्स फट जाएं और आपके सुनने की क्षमता चली जाए।
छींकने के साथ हमारे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं, पर अगर आप छींक रोकते हैं तो ये शरीर में ही बने रहते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि छींक रोकने की वजह से आंखों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो जाती हैं।
इसके अलावा गर्दन में भी मोच आ सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में दिल का दौरा आने की भी आशंका रहती ही है। अगर प्रभाव ज्यादा हो तो दिमाग की नसों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। सार्वजनिक स्थलों और लोगों के समूह के बीच में छींकना थोड़ा असहज लगता है और हम हाथ रखकर अपनी छींक रोक देते हैं। ये देखने में बहुत ही शालीन लगता है क्योंकि सामने वालों को किसी असहजता का सामना नहीं करना पड़ता है, पर स्वास्थ्य के लिहाज से ये बेहद खतरनाक हो सकता है। आप चाहें तो छींकने के दौरान मुंह पर एक रुमाल रख सकते हैं, जिससे सामने वाले को असहज भी नहीं महसूस होगा और संक्रमण फैलने का खतरा भी कम हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि आपने अक्सर ये देखा होगा कि छींक आने के कारण आप हल्का महसूस करते हैं लेकिन यदि छींक अटक जाए और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी न आये तो आप असहज महसूस करने लगते हैं। छींक के फायदे अनेक हैं। यह श्वास नली को साफ़ करती है और नाक में मौजूद गंदगी को साफ़ करनें में मदद करती है। जब कोई चीज हमारी नाक में जाती है, तो नाक की दीवारें इसकी सूचना दिमाग तक पहुंचाती हैं। इसके बाद दिमाग हमारी आँखें, गले और मुंह को बंद करने का आदेश देता है। इसके बाद छाती की मान्पेसियाँ फूलती हैं और गले की मान्पेसियाँ आराम करती हैं। इसी प्रक्रिया के दौरान गले में बनी हवा हमारी नाक और मुंह के जरिये तेजी से बाहर निकलती है, जिसे छींक कहते हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि छींक आने से दिमाग को भी फायदा होता है। दरअसल जब हम छींकते हैं, तो थोड़ी देर के लिए हमारी नाक और गला काफी आरामदायक महसूस करते हैं। इसी दौरान दिमाग में एक हार्मोन बनता है, जो दिमाग को अच्छा महसूस कराता है। इसी कारण से कई लोग जबरदस्ती नाक में कुछ डालकर छींक लाने का प्रयास करते हैं। इस असहजता से छुटकारा दिलाने के लिए आइये आपको बताते हैं कुछ ऐसे उपाय, जिनसे आपको आसानी से छींक आ सकती है। छींक लाने के लिए चॉकलेट का सेवन करना चाहिए।  कोई भी डार्क चॉकलेट या अत्यधिक कोको युक्त चॉकलेट खाएं और आपकी अटकी हुई छींक तुरंत बाहर आ जाएगी।  वहीं छींक लाने के लिए चुइंग गम खाएं। ऐसी गम्स जिनमें मिंट नहीं होता है । तेज़ मिंट को खा लेने से ही छींक आपके शरीर में उत्पादित होती है। क्यों फायदेमंद है ? मिंट के स्वाद के साथ साँस लेने से प्रेरित छींक त्रिधारा तंत्रिका के करीब किसी भी तंत्रिका के अतिउत्तेजित होने का परिणाम होता है और त्रिधारा तंत्रिका के ट्रिगर होने से ही छींक आती है। इसी प्रकार नाक का बाल खींचने से भी छींक आ जाती है। नाक का बाल तोड़ने के बारे में सोचने से ही हमें नाक में खुजली होने लगती है।
*आक्छीं*.... जी हां छींकना आमतौर पर अशुभ माना जाता है लेकिन कुछ छींक शुभ भी होती है। आइए जानें कैसे... सामने की छींक लड़ाई-झगड़े को बतलाती है। पीछे की छींक से सुख मिलता है अगर वह हमारे उल्टे हाथ की तरफ से आती है। ऊंची छींक बड़ी ही उत्तम होती है।नीची छींक बड़ी दुखदायिनी होती है और चलते समय अपनी खुद की छींक भी बड़ा दुख देने वाली होती है। दाईं तरफ की छींक धन को नष्ट करती है। बाईं तरफ की छींक से सुख मिलता है। यानी अगली बार छींक आए तो डरें नहीं यह शुभ भी हो सकती है।
*संकलन : तिलक माथुर 9251022331*

Tuesday, October 8, 2019

इस कर्णप्रिय गीत में श्री कृष्ण भगवान के 108 नाम के अलावा और कुछ नहीं है ।


1) ऊँ श्री अनन्ताय नम:

2) ऊँ श्री आत्मवते नम:

3) ऊँ श्री अद्भुताय नम:

4) ऊँ श्री अव्यक्ताय नम:

5) ऊँ श्री अनिरुद्ध पितामहाय नम:

6) ऊँ श्री आत्मज्ञान निधये नम:

7) ऊँ श्री आद्यपते नम:

8) ऊँ श्री कालिन्दी पतये नम:

9) ऊँ श्री कंसारये नम:

10) ऊँ श्री कुब्जावकृत्य निमेवित्रे नम:

11) ऊँ श्री कालिय मर्दनाय नम:

12) ऊँ श्री कृष्णाय नम:

13) ऊँ श्री क्रियामूर्तये नम:

14) ऊँ श्री कालरूपाय नम:

15) ऊँ श्री किरीटिने नम:

16) ऊँ श्री गोपालाय नम:

17) ऊँ श्री गोप गोपी मुद्रावहाय नम:

18) ऊँ श्री गोपी गीत गुणोदयाय नम:

19) ऊँ श्री श्यामाय नम:

20) ऊँ श्री गोपी सौभाग्य सम्भवाय नम:

21) ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:

22) ऊँ श्री गीतानमित पादपाय नम:

23) ऊँ श्री गोपस्त्री वस्त्रदाय नम:

24) ऊँ श्री गोवर्धन धराय नम:

25) ऊँ श्री ज्ञानयज्ञ प्रियाये नम:

26) ऊँ श्री चाणूर हत्रें नम:

27) ऊँ श्री गुरुपुत्रे प्रदाय नम:

28) ऊँ श्री जरासन्ध मदापहाय नम:

29) ऊँ श्री गरूड़ वाहनाय नम:

30) ऊँ श्री कर्ण विभेदनाय नम:

31) ऊँ श्री पार्थप्रतीज्ञा पालकाय नम:

32) ऊँ श्री भीमसेन जय प्रदाय नम:

33) ऊँ श्री भीषणम बुद्धि प्रदाय नम:

34) ऊँ श्री परीक्षित प्राण रक्षणाय नम:

35) ऊँ श्री विपक्ष पक्ष क्षय कृते नम:

36) ऊँ श्री भीष्म शल्य व्यथापहाय नम:

37) ऊँ श्री प्रधुम्न जनकाय नम:

38) ऊँ श्री भद्राभर्त्रे नम:

39) ऊँ श्री नरकासुर विच्छेत्रे नम:

40) ऊँ श्री जाम्बन्ती प्रियाय नम:

41) ऊँ श्री बाणासुर पुरी रोद्रध्रे नम:

42) ऊँ श्री मुचुकुन्द वर प्रदाय नम:

43) ऊँ श्री तृणावर्तासुर ध्वासिने नम:

44) ऊँ श्री त्रयीमूर्तये नम:

45) ऊँ श्री तापत्रय निवारणाय नम:

46) ऊँ श्री मित्रविन्दा नेत्र महोत्सवाय नम:

47) ऊँ श्री दानव मुक्तिदाय नम:

48) ऊँ श्री दधिमन्थ घटी त्रेत्त्रे नम:

49) ऊँ श्री देवदेवाय नम:

50) ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:

51) ऊँ श्री द्वारकापुर कल्पनाय नम:

52) ऊँ श्री नाना क्रीडा परिच्छदाय नम:

53) ऊँ श्री नवनीत महाचोराय नम:

54) ऊँ श्री नन्दगोपोत्सव स्फूर्तये नम:

55) ऊँ श्री भक्तिगम्याय नम:

56) ऊँ श्री पीतवाससे नम:

57) ऊँ श्री पूतना स्तन पीड़नाय नम:

58) ऊँ श्री परम पावनाय नम:

59) ऊँ श्री प्रकृतये नम:

60) ऊँ श्री बकासुर ग्राहिणे नम:

61) ऊँ श्री बलिने नम:

62) ऊँ श्री बालाय नम:

63) ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:

64) ऊँ श्री महामंगलदायककाय नम:

65) ऊँ श्री विराट पुरुष विग्रहाय नम:

66) ऊँ श्री वेणूवादन तत्पराय नम:

67) ऊँ श्री परमानन्दनाय नम:

68) ऊँ श्री मुनिज्ञान प्रदाय नम:

69) ऊँ श्री मयदानव मोहनाय नम:

70) ऊँ श्री पांचाली मान रक्षणाय नम:

71) ऊँ श्री दन्तवक्त्र निवर्हणाय नम:

72) ऊँ श्री राधाप्रेम सल्लापनि वृताय नम:

73) ऊँ श्री रूक्मणी जानये नम:

74) ऊँ श्री पार्थ सार्थ्य निरताय नम:

75) ऊँ श्री पद्मा स्थिताय नम:

76) ऊँ श्री पुराणाय नम:

77) ऊँ श्री लक्ष्मणा बल्लभाय नम:

78) ऊँ श्री तीर्थ पावनाय नम:

79) ऊँ श्री योगज्ञान नियोजकाय नम:

80) ऊँ श्री लीलाक्षाय नम:

81) ऊँ श्री स्तुति सन्तुष्ट मानसाय नम:

82) ऊँ श्री वल्लभाय नम:

83) ऊँ श्री वसुदेव सुताय नम:

84) ऊँ श्री वत्सलक्ष्मपक्षसे नम:

85) ऊँ श्री व्यापिने नम:

86) ऊँ श्री विश्वविमोहनाय नम:

87) ऊँ श्री वृन्दावन प्रियाय नम:

88) ऊँ श्री पौण्डूक प्राण हराय नम:

89) ऊँ श्री यशोदास्तन्य मुदिताय नम:

90) ऊँ श्री यमलार्जुन भन्जाय नम:

91) ऊँ श्री यादवाय नम:

92) ऊँ श्री यमुना तट सच्चारिणे नम:

93) ऊँ श्री शोरये नम:

94) ऊँ श्री शेषशायिने नम:

95) ऊँ श्री सुखवासाय नम:

96) ऊँ श्री शंख चक्र गदा पद्मम पाणये नम:

97) ऊँ श्री शकटासुर भंजनाय नम:

98) ऊँ श्री सर्वदेवाय नम:

99) ऊँ श्री सुनन्द सुह्रदये नम:

100) ऊँ श्री श्री सर्वेश्वराय नम:

101) ऊँ श्री शंख चूड़शिरोहराय नम:

102) ऊँ श्री सत्राजित रत्न वाचकाय नम:

103) ऊँ श्री सत्यभामा प्रियाय नम:

104) ऊँ श्री षोदश स्त्री सहत्रेशाय नम:

105) ऊँ श्री षड़विशंकाय नम:

106) ऊँ श्री साम्ब जनकाय नम:

107) ऊँ श्री विदुरातिथ्य सन्तुष्टाय नम:

108) ऊँ श्री ब्रह्मवृक्ष वरच्छायासीनाय नम:


डॉ लाल थदानी

पूर्व अध्यक्ष राजस्थान सिन्धी अकादमी जयपुर ।


Monday, September 9, 2019

You Live Only Once / Live with Dignity. Dr Lal Thadani

World Suicide Prevention Day By Dr Lal Thadani, MD Psm

Medico Social Reformer A Public Health Professional

Each year September 10 is observed to promote worldwide action to prevent suicides.
Various events and activities are held during this occasion to raise awareness that suicide is a major preventable cause of premature death. Organizations such as the International Association for Suicide Prevention (IASP) and World Health Organization (WHO) play a key role in promoting this event.

Events and activities for World Suicide Prevention Day include:

Launch of new government initiatives, publications.

Conferences,open days,lectures,
educational seminars , IEC

Media programs promoting mass awareness and prevention.

Memorial services or candlelight ceremonies to remember those who died from suicide.

Organizing cultural or spiritual events, fairs or exhibitions.

Training courses about suicide and depression awareness.

Many of these initiatives are celebrated in various countries worldwide.

Some of these events and activities are held at a local level, while others are nation-wide.

Many communities around the world reaffirm their commitment to suicide prevention on World Suicide Prevention Day.

Let's Talk & share yourself is a theme this year 2018 with us #StopSuicide #WorldSuicidePreventionDay.

मौजूदा दौर में लोगों ने  जिंदगी की तमाम  परेशानियों और अवसाद से मुक्ति पाने का
मौत को आसान समझते हुए अपने परिजनों मित्रों को रोता बिलखता छोड़ देते हैं ।
अवसाद और तनाव से मुक्त हो
  मगर जिंदगी इतनी दुष्कर   भी नहीं ।
मेडिको सोशल रिफॉमर डॉ लाल थदानी और मेडिको फ्रेड्स सन्देश सोसायटी ने अब
अवसाद में जी रहे लोगों को जीने की नई रोशनी देने का संकल्प लिया है ।
आप मेरी इस मुहिम में सादर आमन्त्रित हैं ।

Knock down depression and suicidal tendencies before it knock your near and dear

#LiveAndLoveLife
A #MotivationalBlog
by #DrLalThadani

What is a Depression
A persistent feeling of sadness and loss of interest.

Common causes of this symptom
Depression can be normal, and is only an indicator of underlying disease when feelings become excessive, all-consuming, and interfere with daily living.

Self-treatment

Major depression is a medical condition that is best treated by a health professional. Getting physical exercise, reducing alcohol intake, avoiding substance abuse and engaging with friends and family may also help.

Seeking medical care

Make an appointment to see a doctor if you
Feel depressed
Seek emergency help if you
Have suicidal thoughts
Might harm yourself or others

My story in Short

I MD psm had been transferred with Demotion from cadre post DyCmho Health Ajmer to                                     Non cadre Bcmo kishangarh in sept 2015 then MO mandolai tonk in march 2018 and MO Post sikar in June 2018. Not received salary since 15 months.

One who is running his own website and health app was harrassed at work place  to favour and regularise cmho in 2018 unlawfully thruout despite Seniority and tribunal / high court cases and contempt in favour .

In two years were supported by corrupt OA and acct, sanwinda karmi and few chargesheeted Drs pretending and presenting today the most loyal in Drs Association. 

Can you imagine one sanwinda karmi terminated by Cmho Ajmer forwarded by HM in 2016 is working with Cmho jaipur . How ??? . 

One sanwinda karmi was running Neeli batti Taxi , property and printing business 2014- 16. In three charge sheets Sanwinda karmi witness has been taken . 

Till I was DyCmho Health Ajmer I was never a Nodal Officer in Rsacs, Malaria, and NCD . 

UMS only in Ajmer was under JD . In 4 zones it's under Cmho.

Again in fake & misleading notesheet obliged Cmho was said to be holding DyCmho Health and Fw post where me Dr Lal Thadani and Dr Harchandani were already working. 

He was actually MO on leave reserve. How can he be regularised Cmho when 3 court cases have been stayed with contempt against him. 

Undue Harassments with one way 6 chargesheets since 2016 . My outstanding ACR 2008 to 2016  past Director kept in his custody and online did not get entered .

3 Demotions BCMO 2015, MO Phc Tonk Mar 2018 , Sikar Jun 2018 .. how I withstand stress you all can understand.  Again deferred 1 DACP promotion to outrightly support his man. Still he is Junior .

When High court gave stay they didn't allow me to work and finally got me suspended in Oct 2018 simply to save him. 

Govt has changed excepting officials who are still a hurdle in my revocation.
For all problems my worthy officials in Directorate suggested you are not in system and Suicide ultimately  will solve all problems.

Yes I took it as an inspiration and now a cause to inspire all not to break in tension or depression and end lives for people who are least bothered about humanity and selfless service. 

In present scenario people in tensions and repeated regular harassment at work place find death the easiest and ultimate solution. 

But my dear there is no life after death.
You are absolutely wrong if you think your all problems will sort with Suicide. 

Rather your family, your well-wishers, your friends live much more misearble Life .  Your dignity, your name, fame is at stake. So never give up. 

Fight for your rights.You Live only once. Let's Talk & Share yourself with us. 

#StopSuicide #WorldSuicidePrevention







Day.

Saturday, August 24, 2019

कामयाबी


कामयाबी 

आंधियां थी तूफ़ान भी आए थे
सी ए बनने के हमने सपने बनाए थे ।
विश्वास अटल था मेहनत दिन रात की
मंजिल तक न थके न लड़खड़ाए थे ।।

मां बाप बड़ों का मिला प्यार आशीर्वाद
जिनके भरोसे हम वक़्त से टकराए थे ।
इष्ट मित्रों अपनों के साथ ने दिलाई सफलता
जीत के गीत सबने मिलकर गुनगुनाए थे ।
डॉ लाल थदानी पूर्व अध्यक्ष  राजस्थान सिंधी अकादमी, जयपुर ।

Live and Love Life
by Dr Lal Thadani
A motivational Blog

drlal2010@gmail.com

Saturday, August 17, 2019

मेरे सतगुरु होए दयाल तो श्रद्धा पूरी हो

मेरे सतगुरु होए दयाल तो श्रद्धा पूरी हो । (राधा स्वामी)

मेरे पिताजी श्री मेठाराम थदानी का जन्म 14 जुलाई 1931 मेबदेरो जतोई नवाब शाह मेहरापुर सिंध प्रांत में हुआ । स्वर्गवास 13/8/19 के पूर्व उनकी अंतिम वाणी मेरे सतगुरु होए दयाल तो श्रद्धा पूरी हो (राधास्वामी)ने मुझे लिखने को प्रेरित किया कि कितनी भी  बड़ी से बड़ी तकलीफ हो अगर आप नियमित रूप से जाप और योग में विश्वास करते हैं तो हर पीड़ा आप हर लेंगे ।

नाम दान,जापऔर योग की महिमा

किसी भी मंत्र या भगवान के नाम की पुनरावृत्ति को जप के नाम से जाना जाता है। जप योग का एक महत्वपूर्ण अंग है। मंत्र का दोहराव है। आत्मा के लिए आध्यात्मिक भोजन है।  अंधे साधकों के हाथ में मशाल की भांति है।  इस युग में, केवल जापा का अभ्यास शाश्वत शांति, आनंद,अनुभव और अमरता प्रदान कर सकता है।

शुरुआत में आपको ध्यान को जप के साथ जोड़ना चाहिए। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं जप अपने आप कम होता जाता है; मात्र ध्यान शेष रह जाता है। यह एक उन्नत चरण है। फिर आप अलग से एकाग्रता का अभ्यास कर सकते हैं। इस संबंध में आप को जो अच्छा लगे, आप कर सकते हैं।

नाम और वस्तु(रूप)अविभाज्य हैं।

विचार और शब्द अविभाज्य हैं।जब भी आप अपने बेटे के नाम के बारे में सोचते हैं, उसका शारीरिक रूप आप की मानसिक आंखों के सामने खड़ा होता है।  यहां तक ​​कि जब आप राम, कृष्ण या किसी गुरु का जप करते हैं, तो उनकी तस्वीर आपके दिमाग में आएगी। इसलिए जप और ध्यान एक साथ चलते हैं।वे अविभाज्य हैं।

जाप भावना से करें।  

जानिए मंत्र का अर्थ  और सब कुछ और हर जगह भगवान की उपस्थिति को महसूस करें।  जब आप जप को दोहराते हैं, तो उसके करीब और करीब आएँ।  सोचिए वह आपके दिल  में चमक रहा है।  वह मंत्र के आपके पुनरावृत्ति को देख रहा है क्योंकि वह आपके दिमाग का साक्षी है।

डॉ लाल थदानी
पूर्व अध्यक्ष राजस्थान
सिंधी अकादमी जयपुर ।
Live and Love Life 
by Dr Lal Thadani
A motivational Blog
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Saturday, January 26, 2019

स्वाइन फ्लू: न डरें न डराएं / संक्रमण से बचाव ही उचित उपाय डॉ लाल थदानी उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (स्वा.)

स्वाइन फ्लू: न डरें न डराएं /
संक्रमण से बचाव ही उचित उपाय
डॉ लाल थदानी
उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (स्वा.)

स्वाइन फ्लू- H1N1  एक वायरल बुखार है जो वायरस से फैलता है।  यदि आपको सर्दी, खांसी और बुखार हो और यह 2-3 दिनों में ठीक न हो, तो नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र अथवा अधिकृत चिकित्सक से H1N1 की जांच कराएं। स्वाइन फ्लू के मामलों में मौसम में अचानक परिवर्तन विशेष रूप से बारिश की वजह से स्वाइन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है। वातावरण में नमी बढ़ने के साथ भी यह तेजी से फैलने लगता है। भारत में घटनायें 2009, 2010, 2012 और 2013 में 2015, 2017 में सबसे ज्यादा रही हैं ।

क्या है स्वाइन फ्लू के लक्षण?
स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य / मौसमी एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही होते हैं।
नाक का लगातार बहना,
छींक आना,
हल्का बुखार
ठंड लगना,
कमजोरी ,
भूख न लगना
कफ, कोल्ड और लगातार सूखी खांसी
गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना
मांसपेशियों में दर्द या अकडऩ
सिर में भयानक दर्द
नींद न आना, ज्यादा थकान
दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा
कुछ लोगों को उल्टी और दस्त भी हो सकती है

गंभीर संक्रमण का खतरा :
विशेष सावधानी
बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को
डायबिटीज , ब्लड प्रेशर , हृदय अथवा अन्य गंभीर रोग ,

न डरें न डराएं : ऐसे करें बचाव :
1: दूरी बनाकर रखें
किसीकिसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो स्वयं भीड़ से बचना चाहिए ।
उससे कम से कम 3 फीट की दूरी बनाए रखें। स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।
बहुत जरूरत पड़ने पर मास्क का या साफ कपड़ा प्रयोग करें ।
बच्चों में इंफ्लेन्ज़ा लक्षण पाए जाने पर अभिभावक उसे स्कूल न भेजें ।

2. गले न मिलें:
अगर किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे हाथ मिलाने और गले मिलने से बचना चाहिए।

3. हाथ साबुन से धोएं :
अपने हाथों को हमेशा साबुन और पानी से करीब 20 सेकंड तक अच्छी तरह से धोएं। ये कई तरह के सामान्य संक्रमणों को रोकने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है ।

4. टीका लगवाएं:
इंफ्लेन्ज़ा का टीका लगवाएं। 
H1N1H1N1 संक्रमण से बचाव के लिए यह सबसे बढ़िया रास्ता है।
स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है।
इसका उपचार भी अब मौजूद है।
आराम, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना
शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं।
बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।
डॅाक्टरी परामर्श के बाद ही दवा का सेवन करें।
स्वाइन फ्लू से पहले और बाद में अगर आप सावधानी रखेंगे तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. अगर इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो घबराएं नहीं क्योंकि इसका इलाज संभव है.

क्‍या करें:
यह एक संक्रमण बीमारी है जो इंसान से इंसान को लगती है. जब कोई स्वाइन फ्लू का मरीज छींकता है तो उसके आसपास 3 फीट की दूरी तक खड़े व्यक्तियों के शरीर में इस फ्लू का वायरस प्रवेश कर जाता है. अतः आप मरीज से कम से कम 6 फीट की दूरी बना कर रखें.

यदि कोई व्यक्ति अपने छींकते समय मुंह और नाक को हाथ से ढक लेता है तो फिर यदि वह जहां कहीं भी उस हाथ को लगाता है (दरवाजे, खिड़कियां, मेज, कीबोर्ड इत्यादि) वहां यह वायरस चिपक जाता है और फिर वहां से किसी अन्य व्यक्ति के हाथों पर लगकर शरीर में दाखिल हो जाता है.

आप इन निम्‍नलिखित बातों का ध्‍यान रख कर फ्लू को खुद से दूर रख सकते हैं:
1. छींकते समय टिश्यू पेपर से मुंह, नाक को ढकें और फिर उस पेपर को फौरन सावधानी से कचरे के डिब्बे में डाल दें.
2. अपने हाथों को लगातार साबुन से धोते रहें अपने घर, ऑफिस के दरवाजों के हैंडल, की-बोर्ड, मेज आदि साफ करते रहें यदि आपको जुकाम के लक्षण दिखाई दें तो घर से बाहर और दूसरों के नजदीक ना जाएं.
3. यदि आपको बुखार आई हो तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहें. 
4. लगातार पानी पीते रहें ताकि डिहाइड्रेशन ना हो.
5. घर से बाहर निकल रहे हों तो फेसमास्क पहनकर ही निकलने की कोशिश करें.

स्वाइन फ्लू की आशंका होने पर क्या करें? 
अपनी तबीयत पर गौर करें और यदि आपको बुखार लग रही हो, खांसी आ रही हो, गले में जलन हो रहा हो और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो तत्काल अपने शहर के नजदीकी अस्पताल में जाकर इसकी जांच करवाएं.

स्‍वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण वैसे तो तो सामान्य जुकाम जैसे ही होते हैं.
1. इस दौरान 100.4°F तक की बुखार आती है.
2. भूख कम हो जाती है और नाक से पानी बहता है.
3. कुछ लोगों को गले में जलन, उल्टी और डायरिया भी हो जाता है.
जिस किसी को भी स्वाइन फ्लू होता है उसमें उपरोक्त लक्षण जरूर दिखाई देते हैं.

फ्लू और सामान्य सर्दी में भेद कैसे करें? 
जब सामान्य सर्दी लगती है तो वह जल्द ही ठीक भी हो जाती है लेकिन फ्लू होने पर वह जल्दी ठीक नहीं होता और उसका प्रभाव अधिक घातक होता है. शरीर में कमजोरी आ जाती है, भूख नहीं लगती और बुखार आती-जाती रहती है. सरदर्द होता है और गले में जलन भी।

हर समय इन सावधानियों का पालन करें :
1. भीड़ भाड़ वाले सार्वजनिक जगहों पर न जाएं.
2. बिना मास्‍क पहने अस्‍पताल में दाखिल न हों.
3. अनजान लोगों से हाथ मिलाने और गले मिलने से बचें.
4. खुली जगहों पर ना थूकें.
5. खांसने, छींकने या नाक साफ करने के बाद आंख, नाक और मुंह पर हाथ कतई न लगाएं. शरीर के ये हिस्से सबसे जल्दी फ्लू की चपेट में आते हैं.
6.जब खाँसी या छींक आये, तो अपने मुंह और नाक को एक टिश्यू या रुमाल से ढक लें ।
7. इस्तेमाल किये टिश्यू का तुरंत और सावधानी के साथ निपटारा करें। उन्हें एक बैग में डाल कर फिर पात्र में फेंकें
8. बार-बार साबुन और पानी से अपने हाथ धोयें
9.स्वच्छ कठोर सतहों  को नियमित साफ़ रखें । उदाहरण के लिए
•  दरवाज़े के हैंडल्स और स्विच
• नल और टॉयलेट फ्लश के हैंडल
• किचन वर्कटॉप्स
• टेलीफोन रिसीवर्स
• कंप्यूटर कीबोर्ड्स
• सुनिश्चित करें कि बच्चे इस सलाह का पालन करें

Action Plan
District Administration
Nodal Officer
DyCmho Health MD Psm
Vetenary
Nigam
Medical and Health
Early Diagnosis Prompt Treatment
Iec : Fm radio, cinema slides
Daily Door to Door Survey with Anm & Asha intern Drs Nursing Students supervised by MO .
Blood slide collection .

Give Temiflu before referring
B category
इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) लोगों के बीच कैसे फैलता है?
यह नया इन्फ्लूएंजा वायरस मौसमी फ्लू के सामान ही फैलता हैं; छोटी बूंदों के रूप में, एक संक्रमित व्यक्ति की नाक और मुंह से, जब वो बात करते हैं खांसते या छींकते हैं। लोग संक्रमित हो सकते हैं । अगर वो इन बूंदों को साँस में लेते हैं और वो किसी व्यक्ति या ऐसी चीज़ को छूते हैं जो कि वायरस से दूषित है (उदाहरण के लिए एक प्रयोग किया ऊतक या दरवाज़े के हैंडल) और फिर अपनी आँख और नाक को छूते हैं।अगर वे इन बूंदों को साँस लोगों को संक्रमित हो सकता है या फिर उनकी नाक या आंखों को छूने अगर वे किसी को या कुछ है कि वायरस से दूषित है (उदाहरण के लिए एक प्रयोग किया ऊतक या दरवाज़े के हैंडल) को छूने से ।

क्या इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) से लोगों की रक्षा करने के लिए कोई टीका है ?

सीजनल फ्लू शॉट से दो या तीन तरह के इन्फ्लूएंजा वायरस, जिसमें H1N1 वायरस भी शामिल है, के खिलाफ रक्षा में मदद मिलेगी। टीका एक इंजेक्शन या एक नाक स्प्रे के रूप में उपलब्ध है। उसके लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

क्या उपचार उपलब्ध है?
कुछ एंटीवायरल दवायें, जैसे कि टैमीफ्लू आपके जीपी के पास उपलब्ध हैं। इससे रोग घटती है और जटिलताओं का खतरा कम होता है। इन दवाओं दुष्प्रभाव का कारण है और इसलिए अपने जीपी केवल उन्हें सुझाएगा यदि लाभ जोखिम पल्ला झुकना नहीं, सभी के लिए उपयुक्त हो सकता है।

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