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Tuesday, November 6, 2018

A Pollution Free Happy Diwali

https://youtu.be/sufayNy71eI

प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाएं :
स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाएं

डॉ लाल थदानी                          Dy Cmho Ajmer

डॉ दीपा थदानी                  Prof.Jln Hosp Ajm

https://www.instagram.com/p/B4G0HC2nrXW/?igshid=1mhuwdyoxrp98
संशोधित
http://livenlovelifebylal.blogspot.in/2017/10/blog-post.html?m=1

https://drlalthadani.wordpress.com/2017/10/19/ प्रदूषण-मुक्त-दीपावली-डॉ थदानी /?preview=true

दीपावली खुशियों एवं रोशनी का त्यौहार है। बेशक घर आंगन और देहरी पर दीप जलाएं। बहुत रमणीय भी लगता है। लेकिन लोग पटाखे भी जलाते हैं। जो कुछ पल का मजा वातावरण में जहर घोल देता है। 

दीपावली के दौरान तेज आवाज के पटाखे पर्यावरण के साथ  जन स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं।  आतिशबाजी अधिक रोशनी और शोरगुल वाले पटाखों के कारण  जलने, आंख को गंभीर क्षति पहुंचने ,अंधता और कान का पर्दा फटने और बहरापन, रक्तचाप बढ़ने और दिल के दौरे,दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वा. समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है । 
पटाखों से निकलने वाली आवाज अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण फैलाती हैं और यह स्वास्‍थ्‍य के लिए भी हानिकारक होती है। सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लाये जाने वाले ‘लक्ष्मी बम’ से 100 डेसिबेल (ध्वनि नापने की इकाई) आवाज आती है और 50 डेसिबेल से तेज़ आवाज़ के स्तर को मनुष्य के लिए हानिकारक माना जाता है। शायद आप नहीं जानते, आवाज के 10 डेसीबल अधिक तीव्र होने के कारण आवाज की तीव्रता दो दोगुनी हो जाती है, जिसका बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दिल तथा सांस के मरीजों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।शोर से नवजात बच्चों भी डर जाते है। प्रदूषण पशु-पक्षियों तथा जानवरों के लिये भी अभीष्ठ नहीं है।

दीपावली के समय लोग घर की साफ-सफाई में जुट जाते हैं और  बेकार सामानों को बाहर फेंक देते हैं। इनमें कुछ अजैविक होते हैं और वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे सामानों को इधर-उधर ना फेंकें।
पटाखों से सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड आदि हानिकारक गैसें हवा में घुल जाती हैं। दिवाली के बाद अस्पताल आने वाले हृदय रोगों, दमा,नाक की एलर्जी,ब्रोंकाइटिस औरनिमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों की संख्या अमूमन दोगुनी हो जाती है ।
पटाखों के चलाने से स्थानीय मौसम प्रभावित होता है तथा अनेक बीमारियों की सम्भावना बनती और बढ़ती है ।


Let's celebrate
#pollutionfreediwali🙏
#sayno2crackers
#HappyDiwali
#greendiwali

घटक सेहत पर प्रभाव

1. तांबा श्वास तंत्र में जलन
2. कैडमियम किडनी को हानि,
रक्त अल्पता।
3. सीसा स्नायु तंत्र को हानि
4. मैगनिशियम बुखार
5. सोडियम त्वचा पर असर
6. सल्फर डाइ दम घुटना
ऑक्साइड ऑखों,गले में जलन
7. नाइट्रेट मस्तिष्क को क्षति
बेहोशी की सम्भावना

सावधानी हटी दुर्घटना घटी

1.पटाखों को सुरक्षित जगह पर रखें। उन्हें ज्वलनशील पदार्थों से दूर जाकर ही जलाएँ।

2. वाहनों के आसपास पटाखे नहीं जलाएँ।

3. पटाखे जलाते समय सूती कपड़े पहनें सिन्थेटिक कपडे ज्वलनशील होते हैं।

4. पटाखे जलाते समय घर की खिड़कीऔर दरवाजे बन्द रखें। इससे आग लगने का खतरा घटेगा।

5. हाथ में रखकर फटाके नहीं जलाएँ। बच्चों को वयस्कों/बुजुर्गों की देखरेख में पटाखे जलाने दें।

6. साधारण जली हुई जगह पर तत्काल पानी डालें और दवा लगाएँ।

7. घर में पानी, रेत, कम्बल और दवा काइन्तजाम रखें।

8. धुएँ से दूर रहें। धुएँ में श्वास नहीं लें।

9. जोरदार आवाज करने वाले फटाकों से छोटे बच्चों और अस्वस्थ वृद्धों को दूर रखें। उनसे बहरेपन का खतरा होता है।

भारत का संविधान और अधिकार :

स्वास्थ्य मानकों की अनदेखी, बाल मजदूरी नियमों की अवहेलना या असावधानी मानव अधिकारों के उलंघन के प्रति सरकार गंभीर है । उल्लेखनीय है कि भारत का संविधान रेखांकित करता है कि स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना केवल राज्यों की ही जिम्मेदारी नहीं है अपितु प्रत्येक नागरिक का दायित्व भी है। आर्टिकल 48 अ और आर्टिकल 51 अ (जी) तथा आर्टिकल 21 की व्याख्या से उपर्युक्त तथ्य उजागर होते हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सुरक्षित सीमा (125 डेसीबल) से अधिक शोर करने वाले पटाखों के जलाने पर रोक लगाई है। इसके अलावा शान्तिपूर्ण माहौल में नींद लेने के आम नागरिक के फंडामेंटल अधिकार की रक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय ने दीपावली और दशहरे के अवसर पर रात्रि 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक पटाखों के चलाने को प्रतिबन्धित किया है। पटाखों का उपयोग हमारी परम्परा का अंग है। चूँकि हमारी परम्परा पर्यावरण की पोषक रही है इसलिये हमें पर्यावरण हितैषी और सुरक्षित दीपावली मनाना चाहिए। यह काम प्रत्येक नागरिक अपने स्तर पर खुद कर सकता है।
पर्यावरण हितैषी और सुरक्षित दीपावली मनाने के लिये निम्न कदम उठाए जा सकते हैं-
1. पटाखों का कम-से-कम उपयोग। इससे पर्यावरणी नुकसान कम होंगे। कम कचरा पैदा होगा। कचरा निष्पादन पर अधिक बोझ नहीं पड़ेगा।
2. कतिपय प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा दोहन को लगाम लगाने के लिये कम-से-कम अनावश्यक खरीद। इससे पर्यावरणी नुकसान का स्तर का ग्राफ थमेगा।
3. दीपावली पर कम अवधि के लिये बिजली का उपयोग। ऐसा करने से बिजली उत्पादन करने वाले संसाधनों की खपत पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा।

प्रदूषण मुक्त स्वस्थ जीवन जिये
Lets Promote Pollution Free Healthy Life .

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Live Healthy (Dr.Lal)
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By #drlalthadani


Monday, November 5, 2018

Know 4 Hormones 2 be Happy : Dr Deepa/ Dr Lal Thadani

Know 4 Hormones 2 be Happy : Dr Deepa/ Dr Lal Thadani

There are four hormones which determine our happiness:*

1. Endorphins,
2. Dopamine,
3. Serotonin, and
4. Oxytocin.

It is important we understand these hormones, as we need all four of them to stay happy.

Let's look at the first hormone the Endorphins. *When we exercise, the body releases Endorphins.* This hormone helps the body cope with the pain of exercising. We then enjoy exercising because these *Endorphins will make us happy. Laughter is another good way of generating Endorphins. We need to spend 30 minutes exercising every day to get our day's dose of Endorphins.*

*The second hormone is Dopamine*. In our journey of life, we accomplish many little and big tasks, it releases various levels of Dopamine. When we get appreciated for our work at the office or at home, we feel accomplished and good, that is because it releases Dopamine. *This also explains why most housewives are unhappy since they rarely get acknowledged or appreciated for their work*.

*The third hormone Serotonin is released when we act in a way that benefits others.* When we transcend ourselves and give back to others or to nature or to the society, it releases Serotonin. Even, providing useful information on the internet like writing information blogs, answering peoples questions on Quora or Facebook groups will generate Serotonin. That is because we will use our precious time to help other people via our answers or articles.

*The final hormone is Oxytocin, is released when we become close to other human beings.* When we hug our friends or family Oxytocin is released. *The "Jadoo Ki Jhappi" from Munnabhai does really work.* Similarly, when we shake hands or put our arms around someone's shoulders, various amounts of Oxytocin is released.

*So, it is simple :*
*We have to exercise every day to get Endorphins,*

*We have to accomplish little goals and get Dopamine,*

*We need to be nice to others to get  Serotonin &*

*Finally hug our kids, friends, and families to get Oxytocin and we will be happy. When we are happy, we can deal with our challenges and problems better.*