महिला सशक्तिकरण और समानता पर थदानी से मांगे विचार
अजमेर। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री नेे उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लाल थदानी को मेल भेजकर महिला सशक्तिकरण और समानता पर विचार 15 तारीख तक आमंत्रित किये है। सरकार 2016 से महिलाओं पर समानता और कानून को राष्ट्रीय स्तर पर नई पोलिसी और प्रारूप बनाने पर जुटी हुई है। थदानी ने कई वर्षों से स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा सामाजिक, लिंग भेद, जनसंख्या, नशा मुक्ति, तम्बाकू निषेद्ध, दहेज व अन्य ज्वलंतशील मुद्दों पर उधवेलित वयाख्यान देते आये है। इस वर्ष महिला दिवस पर एसिड अटैक और महिला सशक्तिकरण पर अनेक मंचो पर डॉ. थदानी को आमंत्रित किया गया और समानित किया गया।
डॉ. लाल थदानी ने जानकारी दी कि देश की अधिकांश महिलाओं को सही मायनों में उनके मौलिक अथवा संवैधानिक अधिकारों की जानकारी ना के बराबर है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 16 में देश के प्रत्येक नागरिक को समानता स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार दिया गया है। इसमें किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं है। अनुच्छेद-23 नारी की गरिमा की रक्षा करते हुए उनको शोषण मुक्त जीवन जीने का अधिकार देता है। महिलाओं की खरीद-बिक्री ,वेश्यावृत्ति के धंधे में जबरदस्ती लाना, भीख मांगने पर मजबूर करना आदि दण्डनीय अपराध है। दृढ़ इच्छा शक्ति और विभिन महकमों के नीति निर्धारकों में आपसी तालमेल का अभाव के अलावा पुलिस , सदन और न्यायपालिका द्वारा कानून को यथासमय लागू नही करा पाने से दृढ़ रूप से लागू नहीं कर पाने से आज भी महिला सशक्तिकरण और समानता आज भी दिवा स्वप्न्न है।
इसी कारण से अनुसूचित जाति/जनजातियां/ अन्य पिछड़ी जातियां तथा अल्पसंख्यक समुदाय समेत समाज के कमजोर वर्गों की महिलाओं तक शिक्षा, स्वास्थ्य तथा उत्पादक संसाधनों की पहुंच अपर्याप्त है। अतः वे प्रायः हाशिए पर रह कर गरीबी और सामाजिक रूप से बहिष्कृत जीवन जीने के लिए मजबूर रहती हैं।महिला बाल विकास विभाग द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय, पहनावा, नौकरी स्थल भेद या शोषण, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा नागरिक क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा सभी मानवाधिकारों तथा मौलिक आजादियों का पुरुषों के समान कानूनी तथा व्यावहारिक उपयोग करने हेतु समग्र राष्ट्रीय नीति और पॉलिसी तैयार करने के उधेश्य से विभिन्न क्षेत्रों से विचार आमंत्रित किये गए है
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