सुनहले पल /अल्फ़ाज़/डॉ लाल थदानी
बड़े दिलचस्प है गुजरे हुए वो पल
तेरी यादों के सिलसिले और सुनहले पल ।
भरी दोपहरी हो या हो सर्द रातें
कभी पल, कभी पल-पल, कभी हर पल...
कहने को बहुत है मगर लब खामोश
इस खामोशी में भी तेरी बातें हर पल
तुझ में मैं, मुझ में तू तुमसे, तुम पर ही
मेरी दुनिया पल पल हर पल...
अल्फ़ाज़
डॉ लाल थदानी
www.drlalthadani.in
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