गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मेरे जीवन मे
जिन्होंने तनिक भी ज्ञान अर्पण किया उन सभी गुरूओं को प्रणाम करता हूँ ।
प्रथम वन्दन
1) सबसे बड़ी गुरु मेरी जननी मेरी माता है।
2) दूसरे गुरु मेरे पिता हैं जिन्होने दुनियाँ मे
ऊंच नीच सिखाते हुए जीने की शिक्षा दी ।
3) तीसरे गुरु स्कूल / कॉलेज के अध्यापक
प्राध्यापक, प्रोफेसर आदि हैं जिन्होने
डिग्री दिलाई और साक्षर बनाया।
4) चौथे गुरु मित्र गण हैं जिन्होने दुःख सुख , ऊंच नीच में वो सब सिखाया जो किसी ने नहीं सिखाया था और आपस में खुलकर जीना सिखाया।
5) सबसे महत्वपूर्ण गुरु आपकी खुद की पत्नी और बच्चे हैं जो बुरे वक्त में आपके सच्चे हिमायती और प्रेरणा बनकर सबल बने हुए हैं ।
*गुरु के रुप में समस्त जनों को मेरा नमन*
इसलिए भी क्योंकि
*कुछ लोग मुझसे ज्ञान में श्रेष्ठ है..*
*कुछ लोग मुझसे संस्कार में श्रेष्ठ है..*
*कुछ लोग मुझसे बल में श्रेष्ठ है..*
*कुछ लोग मुझसे धन में श्रेष्ठ है..*
*कुछ लोग मुझसे सेवा कार्यो में श्रेष्ठ है..*
*कुछ लोग मुझसे भोलेपन में श्रेष्ठ है..*
*इसका मतलब प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में मुझसे श्रेष्ठ अवश्य है। अतः मैं सभी श्रेष्ठ व्यक्तिओ को हृदय की गहराइयों से प्रणाम करता हूं*.....
🙏 *गुरु चरणों में प्रणाम🙏 *प्रणाम रक्षा है*
*प्रणाम प्रेम है।*
*प्रणाम अनुशासन है।*
*प्रणाम शीतलता है।*
*प्रणाम आदर सिखाता है।*
*प्रणाम से सुविचार आते है।*
*प्रणाम झुकना सिखाता है।*
*प्रणाम क्रोध मिटाता है।*
*प्रणाम आँसू धो देता है।*
*प्रणाम अहंकार मिटाता है।*
*प्रणाम हमारी संस्कृति है।*
समाज हित में अग्रेषित :
*डॉ लाल थदानी* का
*🙏आप सबको प्रणाम...🙏*
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