*आओगे फिर से*
इस तरह कौन बिछड़ता है अपनों से
इस तरह कौन रूठता है बेगानों से
संगीत के सफ़र में वादा था साथ रहेंगे
अब ढूंढ रहे हैं भीड़ में नग्मों में अफसानों में
लब़ हैं ख़ामोश कुछ कहना चाह रहे अरसे से
हलक पर आके दिल बन्ध जाता है बंधनों से
ये सच है या भ्रम तुम यहीं हो, आओगे फिर से
नाचते, हंसते, गाते हमारे बीच सुरताल गानों में
डॉ लाल थदानी
#अल्फ़ाज़_दिलसे
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