#अल्फ़ाज़_दिलसे
मेरे मन तू कहता जा बात दिल से लिखता जाऊं
तेरे उद्गारों पर अल्फा़ज़ दिल से लिखता जाऊं ।
अंतर पीड़ा से ही होता है काव्य का सृजन
अनकही वेदना पर किताब दिल से लिखता जाऊं ।
जज़्बातों का समुंदर और उफनती लहरों की पीड़ा
शब्दों का बांध बन जज़्बात दिल से लिखता जाऊं ।
दिल के छालों पर मलहम लगाना आसान नहीं
शायरी बन श्याही से कागज़ दिल से लिखता जाऊं ।
डॉ लाल थदानी , उप अधीक्षक, ज.ला.ने.हॉस्पिटल, अजमेर ।
पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान
सिंधी अकादमी, जयपुर ।
#अल्फ़ाज़_दिलसे
26.02.2021
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