आओ कोरोना के साथ हंसी ठिठौली आंख मिचौली खेलें
डॉ लाल थदानी , वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ , अजमेर।
सादर नमन उन सभी दिव्यात्माओं को जो कोरोना संक्रमण से काल कवलित हो गए ।
कोरोना को आज पूरा 1 साल हो गया है । इस एक साल में कोरोना ने कितने विश्व की कितनी आबादी को संक्रमित किया, कितने देश प्रभावित हुए कितनी जिंदगीयां लील ली , इन आंकड़ों पर टीका टिप्पणी , बहस की बजाय आपके आसपास , मिलने वाले किसी खुश हाल परिवार से परिचय कराते हैं जहां अचानक कोराना नाम की दहश्त से
हंसते खेलते परिवार में आलाप विलाप संताप देखने को मिला ।
इस दौरान सरकार ने लॉकडाउन करके देखा , अनलॉक करके देखा । उन परिवारों में जाकर देखो पूछो जिन्होंने किसी न किसी को इस संक्रमण में किसी अपने को खोया है ।
मुझे और मेरी पत्नी डॉ दीपा थदानी को घर के अंदर अजनबीयों की तरह अलग अलग एक दूसरे को संबल देते हुए रहते हुए आज 15 दिन हो गए हैं । मेरी बहू मेरे साथ घर नहीं है, मेरा बेटा आज भी घर के बाहर है ।।
दिवाली पर हम अपने परिवार के साथ नहीं थे । इस दौरान मेरे हिमायती , शुभचितकों, परिजनों के कई अजीज , मिलने वाले भर्ती हुए , जांच इलाज को लेके शिकायतें, उलाहनें मिले सबका समाधान निकालने की कोशिश भी की । सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे लेख , कविताएं , गीतों के माध्यम से लोगों को मालूम पड़ा कि हम भी कोरोना से जूझ रहे हैं ।
क्या आपको अभी भी लगता है आचार , विचार , व्यवहार , आहार , योगा , घर के अंदर -- बाहर नियमित साफ़ सफ़ाई , स्वच्छता , खान पान के लिए सरकारी नुमाइंदे अथवा सरकारी आदेश की जरूरत है । सरकार सिर्फ़ नियम कायदों की घोषणा करती है , जन जागरूकता हेतु प्रचार प्रसार करती है , कानून देखती है । निजी जिन्दगी आपकी ख़ुद की है ।
आपको खुद महफूज़ रहना है । घर वालों को हंसता चहकना, खेलना , कूदना देखना है । स्वस्थ सांसों के साथ जीना है तो खुद में आवश्यकतानुसार परिवर्तन लाने की आपको जरूरत है ।
आज कोरोना हमारी खुद की लापरवाही से बढा़ है । क्या
किट्टी पार्टी अपनी जान जोखिम से जरूरी हो गई जो
दिखावा करना है । क्या किसी चौपाटी या होटल के दम घोंटू माहौल में उत्सव समारोह जश्न मनाना भी इतना जरूरी हो गया है । जन्मदिन , रोका , सगाई , शादी सब जरूरी भी है । लेकिन सावधानी बरतें । आप कहोगे अपनों में मास्क का क्या काम। हाथ धोए या नहीं कौन देख रहा है , किसने देखा है ।
मास्क शो पीस हो गए । मुहं , कान ,पर आधे लटकते , जेब की शोभा बढ़ाते । हेलमेट की तरह पुलिस देखते ही मुंह पर मास्क लगाना है । वायरस को भगाना है । दिखावा करते 2 आपने खुद को और परिजनों को संक्रमित कर दिया कुछ एहसास भी है या नहीं ।
मृत्यु, उठावने में अख़बारों में इश्तहार है तो मुंह दिखाई भी जरूरी है । होटल के अंदर एसी का आंनद 1 दिन का होता है और परिवार के परिवार जब कुछ दिनों में अस्पताल और डॉक्टर के यहां इलाज, ऑक्सीजन , बेड के लिए भागते फिरते हैं अंदाजा लगा कर देखो ।
जब भीड़ में जीतेगा हारेगा चल रहा है। चुनावी दंगल में सब व्यस्त हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग घर परिवार के मंगल कार्यक्रमों में कौन देखता है । हम कोरोना के साथ आंख मिचौली नहीं अपने हंसते खेलते परिवार के साथ आंख मिचौली खेल रहे हैं ।
अगर आपको अपनों से है सच्चा प्यार ,
मुंह दिखाई,रस्मों ,रीति-रिवाजों से करो इनकार ।
सांसें हैं तो जहान है ।
बचाव ही सर्वोत्तम,सस्ता,सुलभ है उपचार ।।
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पूर्व अध्यक्ष #राजस्थानसिंधीअकादमी जयपुर
उपाधीक्षक जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल अजमेर
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