You will be redirected to my new site in

seconds
If Redirect Dosen't Work Click Here

Sunday, June 20, 2021

ज़ख्म अपनों से / डॉ लाल थदानी

आँखो में हैं कुछ अलग ही दास्ताँ
तिनके बिखरे जिनसे सजाया आशियां 
ज़ख्म अपनों से ज्यादा गहरे मिले
मलहम भी लगाएं तो कहां कहां
चहकना इसकी आदत में शुमार है
एकाकीपन में भी ढूंढती है खुशियां 
बहुत सोचा दर्द को कहानी में समेट लूं
अश्को बहा देते हैं अल्फ़ाज़ और सुर्खियां

#डॉलालथदानी
#अल्फ़ाज़_दिलसे
#LiveAndLoveLifeByLal
20.6.2021

2 comments:

  1. बिल्कुल सही दादा। ज़िन्दगी की एक सच्ची पर कड़वी हक़ीक़त

    ReplyDelete