घर ढूंढता है मुझे और
उन ठहाकों को जो कभी
दादा दादी के साथ
आंगन में खेलते बच्चों के
सुनाई देते थे
आते जाते मेहमान देख
सभी दिल जान से खुश होते थे
घर ढूंढता है
घर के मुखिया को
विघटन के बाद
खो गए हैं दो कमरों में
चार दिशाओं में चार लोग
मोबाइल में जो खुशियां ढूंढते है
घर कम बेजान मकान नजर आते हैं
मौलिक स्वरचित
#डॉलालथदानी
#अल्फ़ाज़_दिलसे
#liveandlovelifebylal
8005529714
12.6.2021
बिल्कुल सही, दादा। 👌👌
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