जन जन में लोकप्रिय यशस्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मार्मिक अपील की है कि कोरोना से जंग जीतनी है तो अब प्लाज्मा डोनेट करें
ताकि इस बीमारी से लड़ रहे हजारों मरीजों को ठीक किया जा सके। ये वक्त एक साथ मिलकर लड़ने का है। किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा दान दुनिया में कोई और नहीं हो सकता।
दिल्ली, केरल और मध्यप्रदेश में सफल प्रयोग के बाद जयपुर एस एम एस में कॉन्वलेसंट प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के लिए आईसीएमआर से अनुमति का इंतजार है । इसके लिए एक टीम गठित की गई है । टीम में एसएम एस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी, ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. सुनीता बुंदास, मेडिसिन प्रोफेसर डॉ. रमन शर्मा और प्रिंसीपल स्पेशलिस्ट, मेडिसिन डॉ. अजीत सिंह हैं । इस टीम में पीएसएम से जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ को भी शामिल किया जाना चाहिए ।
सफ़ल प्रयोग :
इधर इंदौर के अरविंदो अस्पताल में दो डॉक्टरों डॉ इजहार मोहम्मद मुंशी और डॉ इकबाल कुरैशी, ने मिसाल पेश करते हुए , संक्रमितों के इलाज के लिए
500-500 एमएल प्लाज्मा डोनेट किया है । इनका प्लाज्मा आईडीए के इंजीनियर कपिल भल्लान, प्रियल जैन और अनीश जैन को चढ़ाया गया है। अरबिंदो अस्पताल के डॉ सतीश जोशी और डॉ रविहट डोसी ने प्लाज्मा चढ़ाया। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा चढ़ाने से पहले डोनर और मरीज के ब्लड ग्रुप का मिलान किया गया। यह प्लाज्मा तीन मरीजों के शरीर में इंजेक्ट किया गया है ।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी (आईआईसीबी) राज्य सरकार के साथ इस परीक्षण से जुड़ा हुआ है। कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के इम्यूनो हेमेटोलॉजी और रक्त आधान (आईएचबीटी) विभाग इस परीक्षण में भागीदार होने जा रहा है।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी ?
कोरोना बीमारी से संक्रमित मरीज जब ठीक
हो जाता है तो उसके शरीर में इस कोविड वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी में एंटीबॉडी इस्तेमाल किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी कैसे काम करती है ?
कोरोना बीमारी मैं संक्रमित मरीज पहली स्टेज में वायरस शरीर में जाता है। दूसरी में यह फेफड़ों तक पहुंचता है और तीसरे में शरीर इससे लड़ने (एंटीबॉडी ही वायरस से लड़ाई करता है) और इसे मारने की कोशिश करता है,
जो सबसे खतरनाक स्टेज होती है। यहां शरीर के अंग तक खराब हो जाते हैं।
कब सबसे कारगर है?
प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करने के लिए सबसे सही वक्त दूसरी स्टेज होती है। क्योंकि पहली में इसे देने का फायदा नहीं और तीसरी में यह कारगर नहीं रहेगा। प्लाज्मा थेरपी मरीज को तीसरी स्टेज तक जाने से रोक सकती है।
कोरोना से गंभीर हालत में पहुंच चुके मरीजों को यह थेरेपी दी जाएगी। रेस्पाइटरी, लंग्स और अन्य इंफेक्शन वाले गंभीर मरीजों के लिए यह तकनीक काफी कारगर होगी। कोरोना से होने वाली मौतों को काफी कंट्रोल किया जा सकेगा। दिल्ली के 4 मरीजों को आखिरी स्टेज से बचाया गया है ।
किसी भ्रम में न रहें-
जिस प्रकार से डेंगू के उपचार में प्लेटलेट चढ़ाई जाती हैं या किसी आपरेशन से पहले खून चढ़ाया जाता है, वैसे ही यहां सिर्फ प्लाज्मा लिया जाएगा, जिससे कमजोरी या अन्य किसी बीमारी का डर नहीं होता। पुनःरक्तदान में तीन महीने का इंतजार करना होता है । मगर कोरोना रोकथाम में 10 दिन बाद फिर प्लाज्मा दिया जा सकता है । याद रहे
प्लाज्मा डोनेट करने से शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती है ।
Dr Lal Thadani , MD PSM
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